Nainital में बढ़ी लोगों की मुश्किलें,  पालिका मकानों पर अवैध कब्जेदारों पर होगी कार्रवाई

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Nainital: नैनीताल नगर पालिका ने शहर के पालिका मकानों पर अवैध कब्जे करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्णय लिया है। वर्तमान में नगर पालिका स्तर पर टीमों का गठन किया जा रहा है और इन मकानों का सर्वे किया जा रहा है। सर्वेक्षण में पहचाने गए अवैध कब्जेदारों से मकान खाली कराए जाएंगे।

पालिका मकानों पर अवैध कब्जों की स्थिति

नगर पालिका के पास शहर में कुल 545 मकान हैं, लेकिन इनमें से अधिकांश पर ऐसे लोग काबिज हैं जो या तो अन्य विभागों से रिटायर हो चुके हैं या बाहरी लोग हैं। इनमें से कई कब्जेदारों से नगर पालिका किराया तक नहीं वसूलती है। जो किराया वसूल होता है, वह भी बहुत कम है।

पालिका कर्मचारियों की परेशानियां

पालिका मकानों पर बाहरी लोगों के कब्जे के कारण स्थिति यह हो गई है कि नगर पालिका में तैनात कई कर्मचारी खुद किराए के मकानों में रहने को मजबूर हैं। हाल ही में हुई नगर बोर्ड की बैठक में एक मकान का किराया तीन हजार रुपये प्रति माह वसूलने का प्रस्ताव पारित हुआ था। लेकिन यह प्रस्ताव छह महीने तक लागू न होने के कारण स्वतः रद्द हो गया।

पालिका के नए प्रशासक और ईओ दीपक गोस्वामी के कार्यभार संभालने के बाद अब आय बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके तहत पालिका मकानों को खाली करवाकर बाजार दर पर किराए पर देने की योजना बनाई जा रही है।

पालिका मकानों का सर्वे और कार्रवाई की योजना

पालिका के ईओ दीपक गोस्वामी ने कहा,
“विभागीय स्तर पर एक टीम का गठन किया जा रहा है और 545 पालिका मकानों का सर्वे किया जा रहा है। इन मकानों में रहने वाले लोगों की सूची तैयार की जाएगी और अवैध कब्जेदारों की पहचान की जाएगी। इसके बाद मकानों को खाली करवाया जाएगा और निर्धारित बाजार दर पर किराए पर दिया जाएगा, जिससे पालिका की आय बढ़ाई जा सके।”

पालिका मकानों पर कब्जे का इतिहास

पालिका मकानों पर कब्जे का इतिहास ब्रिटिश काल से जुड़ा है। उस समय अधिकांश विभाग नगर पालिका के अधीन थे और इन विभागों के कर्मचारियों को पालिका द्वारा मकान आवंटित किए गए थे।

स्वतंत्रता के बाद भी यह व्यवस्था जारी रही। लेकिन 1976 में शिक्षा विभाग, हाइडल और जल संस्थान को नगर पालिका से अलग कर दिया गया। इसके बावजूद इन विभागों के कर्मचारियों ने पालिका मकान खाली नहीं किए।

इसके अलावा, कई पालिका कर्मचारी सेवानिवृत्त होने के बाद भी निर्धारित समय सीमा के भीतर मकान खाली नहीं करते। साथ ही, पालिका ने कुछ मकान गैर-पालिका कर्मचारियों को किराए पर दिए थे, लेकिन वर्षों से उनके किराए में कोई वृद्धि नहीं की गई।

पालिका की आय पर प्रभाव

पालिका के पास मकानों की संपत्ति होते हुए भी आज उसकी आर्थिक स्थिति कमजोर है। अवैध कब्जे और कम किराया वसूली के कारण पालिका के राजस्व पर सीधा असर पड़ा है।

सेवानिवृत्त कर्मचारियों का अवशेष भुगतान एक समस्या

पालिका मकानों में केवल गैर-सरकारी और अन्य विभागों के सेवानिवृत्त कर्मचारियों के परिवार ही नहीं, बल्कि नगर पालिका के सेवानिवृत्त कर्मचारियों के परिवार भी रह रहे हैं।

पालिका द्वारा सेवानिवृत्त कर्मचारियों को बकाया राशि, पेंशन और अन्य भुगतान न किए जाने के कारण भी कई कर्मचारियों ने मकान खाली नहीं किए हैं।

पालिका की नई रणनीति और सुधार के प्रयास

पालिका प्रशासन अब इन मकानों को खाली कराकर बाजार दर पर किराए पर देने की योजना बना रहा है। इससे न केवल अवैध कब्जे हटाए जाएंगे, बल्कि पालिका की आय में भी वृद्धि होगी।

पालिका के एक अधिकारी ने कहा,
“पालिका के मकानों का सही उपयोग होना चाहिए। बाजार दर पर किराया वसूलने से पालिका को आर्थिक मजबूती मिलेगी, जिससे विकास कार्यों में तेजी लाई जा सकेगी।

स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया

पालिका के इस निर्णय पर स्थानीय लोगों की मिश्रित प्रतिक्रिया है। कुछ लोग इसे नगर पालिका का सही कदम मानते हैं, तो वहीं कुछ इसे कर्मचारियों के लिए मुश्किल भरा मानते हैं।

नैनीताल के निवासी रमेश चंद्र ने कहा,
“पालिका का यह कदम सही है। मकान उन्हीं को मिलने चाहिए जो इसके हकदार हैं। बाजार दर पर किराया वसूलने से पालिका की आर्थिक स्थिति सुधरेगी।”

वहीं, एक सेवानिवृत्त पालिका कर्मचारी ने कहा,
“पालिका ने अभी तक हमारा बकाया भुगतान नहीं किया है। जब तक भुगतान नहीं होगा, मकान खाली करना मुश्किल है।”

पालिका की आर्थिक मजबूती के लिए उठाए जा रहे कदम

पालिका प्रशासन अब आय बढ़ाने के लिए अन्य उपायों पर भी विचार कर रहा है। मकानों का सही उपयोग और बाजार दर पर किराए वसूली से पालिका की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने की योजना बनाई जा रही है।

पालिका मकानों पर अवैध कब्जे और कम किराया वसूली की समस्या नगर पालिका की आय को प्रभावित कर रही है। लेकिन अब नई प्रशासनिक टीम द्वारा उठाए गए कदम से इस समस्या का समाधान हो सकता है। अगर इस योजना को सही तरीके से लागू किया गया, तो इससे न केवल पालिका की आय बढ़ेगी, बल्कि कर्मचारियों की समस्याएं भी कम होंगी।

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