Haridwar: रेलवे ट्रैक पर हाथी के आने से मचा हड़कंप, वन विभाग और रेलवे प्रशासन अलर्ट
Haridwar: हरिद्वार में जंगली हाथियों के आबादी वाले इलाकों में घुसने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। बीती रात ज्वालापुर में एक जंगली हाथी रेलवे ट्रैक पर आ गया, जिससे वन विभाग और रेलवे प्रशासन में हड़कंप मच गया।
रेलवे ट्रैक पर हाथी के आने से रोकी गई ट्रेन
रेलवे ट्रैक पर हाथी के आने की खबर मिलते ही वन विभाग की ट्रैक टीम सक्रिय हो गई। उन्होंने तुरंत रेलवे प्रशासन से संपर्क कर ट्रेनों की गति को धीमा करने का अनुरोध किया। घटना के दौरान हाथी को सुरक्षित जंगल की ओर ले जाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी।
वन विभाग की सक्रियता से टली बड़ी घटना
ज्वालापुर रेलवे ट्रैक पर हाथी के आने के बाद वन विभाग और रेलवे प्रशासन ने मिलकर सतर्कता दिखाई। वन विभाग के रेंज अधिकारी शैलेन्द्र सिंह नेगी ने बताया,
“हाथी के रेलवे ट्रैक पर आने के बाद हमारी टीम ने तुरंत रेलवे प्रशासन से संपर्क किया। ट्रेनों की गति को धीमा कर दिया गया ताकि कोई दुर्घटना न हो। कड़ी मेहनत के बाद हाथी को ट्रैक से हटाकर जंगल में छोड़ा गया। इसके बाद ट्रैक को फिर से चालू किया गया।”
जंगली जानवरों का आबादी में घुसना क्यों बढ़ रहा है?
हरिद्वार और उसके आस-पास के इलाकों में जंगली जानवरों, विशेषकर हाथियों के आबादी वाले क्षेत्रों में आने की घटनाएं हाल के दिनों में बढ़ी हैं। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं:
- वन क्षेत्र का कम होना: जंगलों के लगातार कटान और शहरीकरण के कारण वन्यजीवों का प्राकृतिक आवास सिमटता जा रहा है।
- खाद्य पदार्थ की तलाश: जंगलों में भोजन की कमी के चलते हाथी अक्सर आबादी वाले इलाकों में आ जाते हैं।
- रेलवे ट्रैक और सड़कें: जंगलों के बीच से गुजरने वाले रेलवे ट्रैक और सड़कें वन्यजीवों के लिए खतरा बन जाती हैं।
वन विभाग ने की विशेष टीम की तैनाती
हाथियों के रेलवे ट्रैक पर आने की घटनाओं को रोकने के लिए वन विभाग ने रेलवे ट्रैक टीम तैनात की है। इस टीम का काम है कि हाथियों और अन्य जंगली जानवरों को रेलवे ट्रैक के आस-पास न आने दिया जाए।
रेंज अधिकारी ने बताया,
“हमारी टीम लगातार गश्त करती है और रेलवे प्रशासन के साथ संपर्क में रहती है। जैसे ही कोई जंगली जानवर ट्रैक पर आता है, हम तुरंत कदम उठाते हैं।”
स्थानीय लोगों में दहशत
घटना के बाद स्थानीय लोगों में डर का माहौल है। ज्वालापुर क्षेत्र के निवासी सुनील कुमार ने बताया,
“हमें रात में रेलवे ट्रैक के पास हाथी के होने की सूचना मिली। हम सभी डर गए थे कि कहीं कोई बड़ी दुर्घटना न हो जाए। वन विभाग की टीम ने समय रहते हाथी को जंगल में पहुंचाया, जिससे हमें राहत मिली।“
वन्यजीव संरक्षण और मानव-वन्यजीव संघर्ष का समाधान
विशेषज्ञों का मानना है कि मानव-वन्यजीव संघर्ष को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। कुछ सुझाव इस प्रकार हैं:
- जंगलों का संरक्षण: वन क्षेत्रों का विस्तार और पुनर्वास कार्यक्रम शुरू करना।
- फेंसिंग और अलार्म सिस्टम: रेलवे ट्रैक और जंगल के बीच फेंसिंग और अलार्म सिस्टम लगाना।
- खाद्य स्रोत उपलब्ध कराना: जंगलों में वन्यजीवों के लिए पर्याप्त खाद्य स्रोत सुनिश्चित करना।
- स्थानीय लोगों को जागरूक करना: वन्यजीवों से बचाव और सहयोग के लिए ग्रामीणों को शिक्षित करना।
रेलवे प्रशासन ने उठाए एहतियाती कदम
रेलवे प्रशासन ने इस घटना के बाद क्षेत्र में ट्रेनों की गति पर नियंत्रण रखने और सतर्कता बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया,
“हमने सभी ड्राइवरों को निर्देश दिया है कि जंगल के पास ट्रेन चलाते समय सतर्क रहें। साथ ही, वन विभाग के साथ मिलकर इस तरह की घटनाओं को रोकने की योजना बना रहे हैं।”
वन विभाग और रेलवे प्रशासन का साझा प्रयास
वन विभाग और रेलवे प्रशासन की त्वरित कार्रवाई से एक बड़ी दुर्घटना टल गई। यह घटना दिखाती है कि मानव और वन्यजीवों के बीच संघर्ष को रोकने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी है।
हरिद्वार में रेलवे ट्रैक पर हाथी के आने की घटना वन्यजीवों और मानव समाज के बीच बढ़ते टकराव का उदाहरण है। हालांकि, वन विभाग और रेलवे प्रशासन की सतर्कता और संयुक्त प्रयास से इस बार कोई अनहोनी नहीं हुई। इस समस्या के दीर्घकालिक समाधान के लिए वन संरक्षण और मानव-वन्यजीव संघर्ष को रोकने की योजनाएं बनाना बेहद जरूरी है।