Supreme Court: नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत पर जांच की मांग,  सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज की

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Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत की जांच के लिए दायर जनहित याचिका (PIL) को सुनने से इनकार कर दिया। याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि “हम हर चीज के विशेषज्ञ नहीं हैं।” न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि यह अदालत का काम नहीं है कि वह सरकार चलाए।

क्या थी याचिका में मांग?

याचिकाकर्ता पिनाक पाणि मोहंती ने अपनी याचिका में दावा किया कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु 1945 में विमान दुर्घटना में नहीं हुई थी। उन्होंने अदालत से आग्रह किया कि इस ऐतिहासिक रहस्य की गहराई से जांच की जाए। याचिकाकर्ता ने यह भी मांग की कि आज़ाद हिंद फौज द्वारा भारत को स्वतंत्रता दिलाने में उनके योगदान को औपचारिक रूप से स्वीकार किया जाए।

याचिका में यह भी कहा गया कि नेताजी की मृत्यु का रहस्य अभी तक सुलझा नहीं है। 1970 में गठित खोसला आयोग भी इस मामले में कोई अंतिम निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सका था।

सुप्रीम कोर्ट का जवाब

सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने याचिकाकर्ता से कहा,
“यह अदालत हर समस्या का समाधान नहीं है। आप एक राजनीतिक कार्यकर्ता हैं, अपनी पार्टी के पास जाएं और यह मुद्दा वहां उठाएं।”
पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि यह अदालत सरकार का काम संभालने के लिए नहीं है।

अप्रैल में भी जताई थी असंतुष्टि

यह मामला पहली बार अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष आया था। तब भी अदालत ने याचिकाकर्ता के आरोपों पर असंतोष व्यक्त किया था। अदालत ने कहा था कि कुछ राष्ट्रीय नेताओं, जो अब जीवित नहीं हैं, के खिलाफ “लापरवाह और गैर-जिम्मेदाराना” आरोप लगाए गए हैं। इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता की मंशा और प्रमाणिकता पर भी सवाल उठाए थे।

नेताजी की मौत पर अब तक की जांच

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु से जुड़ा रहस्य दशकों से भारतीय इतिहास के सबसे चर्चित विषयों में से एक रहा है। 1945 में यह बताया गया कि उनका विमान ताइवान में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इसके बाद तीन आयोगों ने इस घटना की जांच की:

  1. शाहनवाज आयोग (1956): इस आयोग ने निष्कर्ष दिया कि नेताजी की मृत्यु विमान दुर्घटना में हुई थी।
  2. खोसला आयोग (1970): इस आयोग ने भी विमान दुर्घटना की थ्योरी का समर्थन किया लेकिन अंतिम निष्कर्ष नहीं दे पाया।
  3. मुखर्जी आयोग (2005): इस आयोग ने विमान दुर्घटना में नेताजी की मृत्यु होने से इनकार किया।

मुखर्जी आयोग की रिपोर्ट को सरकार ने खारिज कर दिया था।

याचिकाकर्ता के दावे

याचिकाकर्ता पिनाक पाणि मोहंती ने अपनी याचिका में कहा कि नेताजी की मौत एक गहरी साजिश थी। उन्होंने तर्क दिया कि नेताजी का योगदान स्वतंत्रता संग्राम में अनमोल है और उनकी मौत की सच्चाई सामने आनी चाहिए।

नेताजी की विरासत और योगदान

नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक थे। उन्होंने आज़ाद हिंद फौज का गठन किया और “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा” जैसे प्रेरणादायक नारे दिए। उनकी नेतृत्व क्षमता और संघर्ष ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को नई दिशा दी।

हालांकि, उनकी मृत्यु से जुड़े रहस्य ने उनके प्रशंसकों और इतिहासकारों को विभाजित कर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट का संदेश

सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में यह स्पष्ट किया कि अदालत का काम ऐतिहासिक विवादों को सुलझाना नहीं है। अदालत ने कहा कि इस तरह के मामलों को राजनीतिक मंच पर उठाना चाहिए।

क्या यह मुद्दा सुलझ पाएगा?

नेताजी की मौत से जुड़ा रहस्य आज भी भारतीय जनता के दिलों में जीवित है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय के बाद यह सवाल उठता है कि क्या इस ऐतिहासिक गुत्थी को कभी सुलझाया जा सकेगा।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारतीय इतिहास के अद्वितीय व्यक्तित्व थे। उनकी मृत्यु से जुड़ा रहस्य भले ही आज भी अनसुलझा हो, लेकिन उनका योगदान और विरासत अमर है। सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय ऐतिहासिक मुद्दों को राजनीतिक और सामाजिक मंचों पर सुलझाने की दिशा में एक संकेत है।

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