Manipur Violence News: मणिपुर में हिंसा का सिलसिला लगातार दूसरे दिन भी जारी, चार और विधायक के घरों को जलाया; अमित शाह ने की आपात बैठक
Manipur Violence News: मणिपुर में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। लगातार दूसरे दिन हिंसक भीड़ ने राज्य के चार विधायकों के घरों को आग के हवाले कर दिया। इन विधायकों में तीन बीजेपी के मंत्री भी शामिल हैं। प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के पुश्तैनी घर पर भी हमला करने की कोशिश की, लेकिन सुरक्षा बलों ने समय रहते उनके इस प्रयास को विफल कर दिया। इस बीच, गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली लौटकर आपात बैठक बुलायी और हालात पर चर्चा की।
हिंसा का कारण और हालात की गंभीरता
रविवार सुबह, इम्फाल घाटी के सभी पांच जिलों में स्थिति बेहद तनावपूर्ण रही। इन जिलों में कर्फ्यू लगा हुआ है और सात जिलों में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है। पुलिस ने 23 लोगों को गिरफ्तार किया है जो तोड़फोड़ और आगजनी में शामिल थे। उनके पास से .32 पिस्टल और आठ मोबाइल फोन भी बरामद हुए हैं।
हिंसा की शुरुआत उस वक्त हुई जब राहत शिविर से लापता महिलाओं और बच्चों के शव मिले। प्रदर्शनकारियों ने इस घटना के बाद तीन मंत्रियों और छह विधायकों के घरों को आग के हवाले कर दिया, जिसमें मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के दामाद का घर भी शामिल था। इसके साथ ही, दो चर्चों और तीन घरों को भी जलाया गया। महिलाओं और बच्चों की हत्या के पीछे आरोप आतंकवादियों पर लगे हैं। सोमवार को सीआरपीएफ के साथ मुठभेड़ में 10 कुकि आतंकवादी मारे गए हैं। इस मुठभेड़ में एक वृद्ध महिला, उसकी दो बेटियाँ और तीन नाबालिग पोते-पोतियाँ भी लापता हो गए थे।
बूढ़ी महिला और बच्चों की हत्या पर गुस्साए प्रदर्शनकारी
रविवार को, प्रदर्शनकारी गुस्से में आकर पब्लिक वर्क्स मिनिस्टर गोविंदास कोंथौजम के घर को जला दिया, जो निंगथौखोंग में स्थित है। इसके अलावा, भाजपा विधायक य. राधेश्यम के घर को भी लांगमेदोंग बाजार में जलाया गया। भाजपा विधायक पोनम ब्रोजन के घर को थौबल जिले में जलाया गया, जबकि कांग्रेस विधायक टी. लोकेश्वर के घर को इम्फाल ईस्ट जिले में निशाना बनाया गया। इस दौरान, विधायकों और उनके परिवारों के सदस्य घरों में मौजूद नहीं थे।
शनिवार रात को प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के पुश्तैनी घर को निशाना बनाने की कोशिश की, लेकिन सुरक्षा बलों ने 100-200 मीटर की दूरी पर उन्हें रोक दिया। इस दौरान सुरक्षा बलों ने आंसू गैस के गोले और रबर की गोलियां चला कर प्रदर्शनकारियों को खदेड़ा।
अमित शाह ने चुनावी रैलियां रद्द की, दिल्ली लौटे
मणिपुर में बढ़ते हिंसक घटनाओं को देखते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने महाराष्ट्र में होने वाली चुनावी रैलियां रद्द कर दी और दिल्ली लौटकर अधिकारियों के साथ एक आपात बैठक आयोजित की। इस बैठक में गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों और सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारियों ने राज्य की स्थिति पर चर्चा की और आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया।
गृह मंत्रालय ने मणिपुर के विभिन्न क्षेत्रों में AFSPA (आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर्स एक्ट) लागू किया है और सुरक्षा बलों को हिंसा रोकने के लिए उचित कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। गृह मंत्रालय ने सुरक्षा बलों से कहा है कि वे किसी भी प्रकार की हिंसा को बढ़ने न दें और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सभी जरूरी उपाय करें।
अमित शाह ने सोमवार को भी अधिकारियों से इस मामले पर एक और बैठक करने का निर्णय लिया है, ताकि हिंसा को और बढ़ने से रोका जा सके।
केंद्र सरकार की बढ़ती चिंता
मणिपुर में हो रही हिंसा की लगातार बढ़ती घटनाओं को देखकर केंद्र सरकार की चिंता और बढ़ गई है। गृह मंत्री अमित शाह ने स्थिति की गंभीरता को समझते हुए चुनावी रैलियां रद्द करने का निर्णय लिया और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की। यह स्पष्ट है कि सरकार हिंसा को लेकर बेहद गंभीर है और इस मुद्दे पर सख्ती से कार्रवाई करने का मन बना चुकी है।
मणिपुर सरकार ने केंद्र सरकार से AFSPA को उन क्षेत्रों से हटाने की मांग की है जो छह पुलिस थानों के अंतर्गत आते हैं।
क्या है AFSPA (आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर्स एक्ट)?
AFSPA, यानी आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर्स एक्ट, एक कानून है जिसके तहत भारतीय सेना और अन्य सुरक्षा बलों को विशेष अधिकार दिए जाते हैं। यह कानून उन क्षेत्रों में लागू होता है जो आतंकवादी गतिविधियों से प्रभावित होते हैं, और इसके तहत सुरक्षा बलों को बल प्रयोग करने, गिरफ्तारी करने और तलाशी लेने का अधिकार होता है। मणिपुर में AFSPA की स्थिति को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच बयानबाजी होती रही है। राज्य सरकार की ओर से AFSPA हटाने की मांग की जा रही है, जबकि केंद्र सरकार की ओर से इसे बनाए रखने की बात की जा रही है, ताकि हिंसा पर काबू पाया जा सके।
अगला कदम: केंद्रीय मंत्री और राज्य सरकार के प्रयास
अमित शाह के नेतृत्व में गृह मंत्रालय ने एक अहम बैठक की है, जिसमें भविष्य की रणनीति पर चर्चा की गई है। केंद्रीय मंत्री के रूप में शाह की प्राथमिकता है कि मणिपुर की स्थिति को जल्द से जल्द नियंत्रित किया जाए, ताकि हिंसा का दायरा और न बढ़े। केंद्रीय सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि सुरक्षा बलों को पूरी छूट दी जाए, ताकि किसी भी प्रकार की हिंसा को तुरंत रोकने के लिए वे प्रभावी कदम उठा सकें।
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह भी स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं और उन्होंने हिंसा के मामलों में आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की बात कही है।
मणिपुर की स्थिति बेहद गंभीर है और केंद्रीय सरकार, राज्य सरकार के साथ मिलकर इस स्थिति को काबू करने का प्रयास कर रही है। हिंसा के लगातार बढ़ते मामलों से राज्य में शांति बहाल करने के लिए सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। AFSPA का लागू होना और सुरक्षा बलों की तैनाती इस बात का संकेत है कि राज्य में हालात को जल्द सुधारने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है।
सुरक्षा बलों और सरकार के प्रयासों के बावजूद हिंसा का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है, और अब यह देखना होगा कि इस संकट से उबरने के लिए सरकार कितने प्रभावी कदम उठा सकती है।