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Kedarnath by-poll: कांग्रेस ने केदारनाथ उपचुनाव में जीत के लिए झोंकी पूरी ताकत, बड़ी नेताओं की टीम मैदान में

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Kedarnath by-poll: उत्तराखंड में केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव 20 नवम्बर को होने जा रहा है, और कांग्रेस पार्टी ने इस सीट पर अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। पार्टी का उद्देश्य बदरीनाथ विधानसभा की सीट पर हुई जीत की तरह ही इस चुनाव में भी सफलता प्राप्त करना है। यदि कांग्रेस को इस सीट पर जीत मिलती है, तो यह पार्टी के लिए एक बड़ा संदेश होगा, खासकर पहाड़ी क्षेत्रों में अपने प्रभाव को मजबूत करने का। साथ ही, यह बीजेपी के हिंदुत्व एजेंडा को भी निशाने पर लेने का मौका देगा।

कांग्रेस ने इस उपचुनाव को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ा है, और इसके लिए पार्टी के बड़े नेता मैदान में उतर आए हैं। राज्य के कांग्रेस अध्यक्ष करण महरा, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, विपक्ष के नेता यशपाल आर्य, पूर्व राज्य अध्यक्ष गणेश गोदियाल, और पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत जैसे बड़े नेताओं ने पार्टी उम्मीदवार मनोज रावत के समर्थन में प्रचार अभियान में भाग लिया है। कांग्रेस पार्टी ने गढ़वाल और कुमाऊं के पहाड़ी क्षेत्रों के नेताओं को भी चुनाव प्रचार में उतारा है, ताकि हर क्षेत्र के वोटरों से समर्थन मिल सके।

Kedarnath by-poll: कांग्रेस ने केदारनाथ उपचुनाव में जीत के लिए झोंकी पूरी ताकत, बड़ी नेताओं की टीम मैदान में

प्रधानमंत्री मोदी का केदारनाथ से जुड़ाव कांग्रेस के लिए चुनौती

कांग्रेस पार्टी के लिए केदारनाथ उपचुनाव विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह सीट सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जुड़ी हुई है। प्रधानमंत्री मोदी का केदारनाथ धाम के प्रति गहरा लगाव है, और उनका इस क्षेत्र में प्रभाव कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि मोदी सरकार की नीतियों और उनकी कार्यशैली से पहाड़ी क्षेत्रों के लोग नाराज हैं, और इस नाराजगी को कांग्रेस चुनाव में अपनी जीत के रूप में बदल सकती है।

कांग्रेस पार्टी ने 2022 विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी के किलें को तोड़ने में सफलता हासिल नहीं की थी, लेकिन जुलाई में हुए दो विधानसभा उपचुनावों में कांग्रेस को मिली जीत ने पार्टी के मनोबल को ऊंचा किया है। पार्टी अब केदारनाथ उपचुनाव को भी अपनी जीत के रूप में देख रही है और इस सीट पर जीत के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।

कांग्रेस की रणनीति और प्रचार अभियान

कांग्रेस ने बदरीनाथ विधानसभा सीट पर मिली सफलता को पहाड़ी क्षेत्रों में अपनी बढ़ती पैठ के रूप में पेश किया है। पार्टी का मानना है कि बीजेपी के हिंदुत्व एजेंडा के खिलाफ लोगों में असंतोष बढ़ रहा है, और यह असंतोष कांग्रेस के लिए एक अवसर बन सकता है। अब कांग्रेस का लक्ष्य है कि वह केदारनाथ सीट पर भी अपनी जीत दर्ज कर सके, ताकि पहाड़ी क्षेत्रों में पार्टी का प्रभाव और मजबूत हो सके।

इसके लिए कांग्रेस ने अपनी राज्य नेतृत्व को पूरी तरह से सक्रिय किया है। पार्टी के प्रमुख नेता इस उपचुनाव में एकजुट होकर प्रचार कर रहे हैं, ताकि बीजेपी को सख्त संदेश दिया जा सके। कांग्रेस ने यह सुनिश्चित किया है कि इस चुनाव में सभी नेताओं का समर्थन पार्टी उम्मीदवार को मिले, ताकि वे जीत हासिल कर सकें।

कांग्रेस नेताओं का संदेश

कांग्रेस राज्य अध्यक्ष करण महरा ने कहा कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने पहाड़ी क्षेत्रों के लोगों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरने का काम किया है। इस कारण वहां के वोटरों में गुस्सा है, जो बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस के पक्ष में वोट कर सकते हैं। महरा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने केदारनाथ उपचुनाव में पूरी एकता के साथ चुनावी प्रचार किया है और इस उपचुनाव के परिणाम से बीजेपी को सख्त संदेश दिया जाएगा।

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी इस उपचुनाव को लेकर पार्टी की रणनीति पर जोर दिया और कहा कि कांग्रेस पार्टी इस उपचुनाव को एक प्रतिष्ठा का सवाल मानते हुए बीजेपी के खिलाफ मजबूती से लड़ेगी। रावत ने कहा, “हमारी पार्टी ने पहाड़ी क्षेत्रों में लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए हमेशा आवाज उठाई है, और यही संदेश हम इस चुनाव में जनता तक पहुंचाने की कोशिश करेंगे।”

केदारनाथ उपचुनाव में कांग्रेस का फोकस

कांग्रेस पार्टी ने केदारनाथ उपचुनाव को अपनी राजनीतिक शक्ति का प्रदर्शन और बीजेपी को एक झटका देने का अवसर मानते हुए इसे अपनी रणनीतिक प्राथमिकता बना लिया है। इस उपचुनाव के परिणाम पार्टी के लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण हो सकते हैं। यदि कांग्रेस इस चुनाव में जीत हासिल करती है, तो यह पार्टी के लिए एक सशक्त संदेश होगा, जो पहाड़ी क्षेत्रों के वोटरों के बीच कांग्रेस की बढ़ती पैठ को दर्शाता है।

कांग्रेस पार्टी को इस उपचुनाव में अपने उम्मीदवार मनोज रावत के पक्ष में प्रचार करने के लिए विभिन्न रणनीतियाँ अपनानी पड़ रही हैं। पार्टी ने गढ़वाल और कुमाऊं दोनों ही क्षेत्रों के प्रमुख नेताओं को इस चुनाव में सक्रिय रूप से शामिल किया है, ताकि विभिन्न हिस्सों में पार्टी का प्रभाव बढ़ सके और हर समुदाय से समर्थन प्राप्त किया जा सके।

नतीजे का महत्व

इस उपचुनाव के परिणाम सिर्फ कांग्रेस के लिए नहीं, बल्कि बीजेपी के लिए भी महत्वपूर्ण होंगे। यदि कांग्रेस इस सीट पर जीत हासिल करती है, तो यह एक बड़ा संदेश होगा कि बीजेपी के हिंदुत्व एजेंडा और राज्य सरकार की नीतियों के खिलाफ पहाड़ी क्षेत्रों के लोग असंतुष्ट हैं और कांग्रेस को अपना विकल्प मानते हैं। दूसरी ओर, अगर बीजेपी इस सीट को जीतती है, तो यह उसकी सत्ता में पकड़ को और मजबूत करेगा और आगामी विधानसभा चुनावों में उसकी स्थिति को सशक्त बनाएगा।

केदारनाथ उपचुनाव का परिणाम यह तय करेगा कि राज्य के पहाड़ी इलाकों में आगामी चुनावों में किस पार्टी को जनसमर्थन मिलेगा। कांग्रेस पार्टी का उद्देश्य इस उपचुनाव में अपनी जीत से अपनी स्थिति मजबूत करना है, ताकि वह आगामी विधानसभा चुनावों और अन्य चुनावों में भी बीजेपी के खिलाफ संघर्ष कर सके।

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