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Bal Diwas 2024: अल्मोड़ा जेल में लिखी चाचा नेहरू की किताबें, स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बिताए 317 दिन

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Bal Diwas 2024: बाल दिवस हर साल 14 नवंबर को भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की याद में मनाया जाता है। बच्चों के प्रति उनके प्रेम और स्नेह के कारण बच्चे उन्हें ‘चाचा नेहरू’ कहकर पुकारते थे। हालांकि, चाचा नेहरू की जिन्दगी में बच्चों के लिए विशेष लगाव के साथ-साथ स्वतंत्रता संग्राम में योगदान और कठिनाइयों का भी महत्वपूर्ण स्थान था। बहुत कम लोगों को मालूम है कि पंडित नेहरू ने अपनी प्रसिद्ध किताबें ‘मेरी आत्मकथा’ और ‘भारत एक खोज’ के कुछ हिस्से अल्मोड़ा जेल में लिखे थे। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान नेहरू जी कुल 317 दिन अल्मोड़ा जेल में कैद रहे।

अल्मोड़ा जेल में बिताए गए 317 दिन

पंडित नेहरू ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ लड़ाई के दौरान जेल में लगभग 9 साल गुजारे। उनके जेल प्रवास के 3259 दिनों में से 317 दिन उन्होंने अल्मोड़ा जेल में बिताए। नेहरू पहली बार 28 अक्टूबर 1934 को अल्मोड़ा जेल पहुंचे थे, जहां वे 311 दिनों तक कैद रहे। इसी दौरान उन्होंने अपनी आत्मकथा ‘मेरी आत्मकथा’ का कुछ हिस्सा लिखा था। इसके बाद उन्हें 10 जून 1945 से 15 जून 1945 तक अल्मोड़ा जेल में रखा गया, जहां उन्होंने ‘भारत एक खोज’ के महत्वपूर्ण हिस्से लिखे, जो आगे चलकर दूरदर्शन पर एक प्रसिद्ध धारावाहिक के रूप में प्रदर्शित हुए और उसे बहुत सराहा गया।

Bal Diwas 2024: अल्मोड़ा जेल में लिखी चाचा नेहरू की किताबें, स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बिताए 317 दिन

अल्मोड़ा जेल के ‘नेहरू वार्ड’ की कहानी

अल्मोड़ा जेल में जहां पंडित नेहरू को रखा गया था, वहां आज भी उनकी यादें संजोई गई हैं। नेहरू द्वारा उपयोग की गई चीजें, जैसे बिस्तर, फर्नीचर, थाली, लोटा, गिलास, लैम्प स्टैंड, गांधी चर्खा आदि को सुरक्षित रखा गया है। जिस बैरक में नेहरू जी को रखा गया था, उसे आज ‘नेहरू वार्ड’ के नाम से जाना जाता है। इस वार्ड में एक पुस्तकालय कक्ष और रसोईघर भी है। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान इस जेल में 500 से अधिक स्वतंत्रता सेनानियों को कैद रखा गया था, जो इस स्थान को ऐतिहासिक रूप से और भी महत्वपूर्ण बनाता है।

संरक्षित स्मारक बनाने की मांग अधूरी

1872 में बनी इस जेल का इस्तेमाल स्वतंत्रता संग्राम के दौरान आंदोलनकारियों को कैद करने के लिए किया जाता था। स्वतंत्रता के बाद इस जेल का उपयोग खतरनाक अपराधियों को रखने के लिए किया गया। लंबे समय से यह मांग की जा रही है कि इस ऐतिहासिक जेल को एक संरक्षित स्मारक बनाया जाए, ताकि यह स्थान भविष्य की पीढ़ियों और शोधकर्ताओं के लिए ऐतिहासिक धरोहर बन सके। हालांकि, आज तक इस जेल को दूसरी जगह स्थानांतरित नहीं किया गया है। यह जेल केवल विशेष अवसरों पर ही खोली जाती है, और इसे संरक्षित स्थल बनाए जाने से लोग यहां की ऐतिहासिक कहानियों और स्वतंत्रता संग्राम के पहलुओं से अवगत हो सकते हैं।

भारत की सांस्कृतिक धरोहर की झलक ‘भारत एक खोज’

पंडित नेहरू की किताब ‘भारत एक खोज’ उनके द्वारा लिखी गई एक महत्वपूर्ण कृति है, जिसे उन्होंने 1946 में जेल में रहते हुए लिखा था। यह किताब प्राचीन से लेकर आधुनिक भारत के इतिहास का विश्लेषण करती है और भारतीय विविधता, सांस्कृतिक धरोहर और सामाजिक जीवन का जीवंत चित्रण करती है। यह किताब आज भी भारतीय इतिहास के बारे में जानकारी प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण स्रोत मानी जाती है। दूरदर्शन पर इस किताब पर आधारित धारावाहिक ने दर्शकों में विशेष लोकप्रियता हासिल की और इससे भारतीय समाज को अपने अतीत को जानने का मौका मिला।

‘मेरी आत्मकथा’ में नेहरू की जीवन यात्रा

नेहरू जी ने 1935 में ‘मेरी आत्मकथा’ (An Autobiography) नामक किताब लिखी थी। इस पुस्तक में उन्होंने अपने बचपन, शिक्षा, राजनीतिक जीवन और स्वतंत्रता संग्राम में अपनी भूमिका के बारे में विस्तार से लिखा है। इस आत्मकथा में उनके विचारों, आदर्शों और सिद्धांतों की भी झलक मिलती है। पंडित नेहरू के अनुसार, यह किताब उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने का एक प्रयास है और स्वतंत्रता संग्राम के समय उनके संघर्षों का प्रतीक है। यह किताब स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उनके मनोभावों और विचारों का एक अनोखा दस्तावेज है, जिसे उन्होंने जेल के मुश्किल समय में लिखा था।

बाल दिवस और चाचा नेहरू का बच्चों से विशेष प्रेम

बाल दिवस के अवसर पर, चाचा नेहरू का बच्चों के प्रति उनके विशेष प्रेम को भी याद किया जाता है। चाचा नेहरू का मानना था कि बच्चे देश का भविष्य हैं, और उनके शिक्षण व विकास पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। उनके अनुसार, बच्चों के भीतर नैतिकता, सच्चाई और प्यार के गुणों का विकास करना ही एक देश की सच्ची संपत्ति है। नेहरू जी ने हमेशा बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए कार्य किया और उनके बीच समय बिताना उन्हें बहुत पसंद था। उनके इन्हीं आदर्शों के कारण, आज भी बाल दिवस को पूरे उत्साह और खुशी के साथ मनाया जाता है।

अल्मोड़ा जेल का ऐतिहासिक महत्व

अल्मोड़ा जेल का भारत के स्वतंत्रता संग्राम में विशेष महत्व है। यह जेल स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्षों और बलिदानों का एक मूक गवाह है। यहां नेहरू जैसे महान नेताओं ने अपने जीवन के महत्वपूर्ण क्षण बिताए और कठिन परिस्थितियों में भी अपने आदर्शों और सिद्धांतों को बनाए रखा। इस जेल को यदि संरक्षित स्थल का दर्जा दिया जाता है, तो यह देश के लिए एक ऐतिहासिक धरोहर के रूप में उभर सकता है और यह स्थान स्वतंत्रता संग्राम के प्रति आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देगा।

बाल दिवस के इस खास मौके पर, हमें चाचा नेहरू के जीवन, उनके संघर्ष और उनके आदर्शों को याद करना चाहिए। उनके द्वारा जेल में बिताए गए कठिन समय और उनकी कृतियों ने देश के इतिहास को समृद्ध किया है। आज भी उनके विचार और आदर्श हमें प्रेरणा देते हैं कि कैसे एक व्यक्ति अपनी संकल्प शक्ति और देश प्रेम से परिवर्तन ला सकता है।

Manoj kumar

Editor-in-chief

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