Nuclear plants: भारत सरकार ने राज्यों से अपील की है कि वे अपनी-अपनी राज्य सीमा में परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित करें, खासकर उन राज्यों से जहां कोयला आधारित ताप बिजली संयंत्रों का जीवन समाप्त होने के कगार पर है। इस कदम का उद्देश्य देश में स्वच्छ ऊर्जा की हिस्सेदारी बढ़ाना और परमाणु ऊर्जा का प्रचार करना है। इस पहल से एक ओर जहां देश की ऊर्जा आवश्यकताएं पूरी की जा सकेंगी, वहीं दूसरी ओर पारंपरिक जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता भी कम होगी।
राज्य सरकारों को दी गई अपील
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनीषा लाल ने मंगलवार को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के ऊर्जा मंत्रियों के साथ एक बैठक में यह सुझाव दिया कि वे उन स्थानों पर परमाणु आधारित बिजली संयंत्रों की स्थापना पर विचार करें, जहां कोयला आधारित संयंत्रों की उम्र समाप्त हो रही है। यह कदम न केवल भारत में ऊर्जा उत्पादन के लिए एक स्थिर और दीर्घकालिक समाधान प्रदान करेगा, बल्कि प्रदूषण और कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के लक्ष्य में भी मदद करेगा।
केंद्रीय मंत्री ने राज्यों से यह भी आग्रह किया कि वे उन पावर यूटिलिटीज की पहचान करें जो निजी निवेशकों के लिए सार्वजनिक की जा सकती हैं, ताकि ऊर्जा क्षेत्र में निवेश के लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सके। इसके साथ ही, उन्होंने ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की वृद्धि के लिए ट्रांसमिशन सिस्टम में सुधार की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
परमाणु ऊर्जा का वर्तमान परिदृश्य
वर्तमान में भारत में 24 परमाणु संयंत्र काम कर रहे हैं, जो कि न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NPCIL) द्वारा संचालित होते हैं। NPCIL एक सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है, जो परमाणु ऊर्जा विभाग के अधीन आता है और इसका मुख्यालय मुंबई में स्थित है। फिलहाल, भारत की परमाणु ऊर्जा उत्पादन क्षमता लगभग 8 गीगावाट (GW) है, लेकिन यह आंकड़ा बढ़कर 2032 तक 20 गीगावाट तक पहुंचने का लक्ष्य है।
भारत का परमाणु ऊर्जा क्षेत्र: वृद्धि की दिशा में कदम
भारत में परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल बढ़ाने के लिए कई योजनाएं बनाई जा रही हैं। सबसे महत्वपूर्ण कदम यह है कि सरकार ने बजट में छोटे परमाणु रिएक्टरों की स्थापना के लिए निजी निवेशकों को प्रोत्साहित करने की बात की है। यह प्रयास विशेष रूप से उन राज्यों के लिए महत्वपूर्ण है, जहां कोयला आधारित बिजली संयंत्रों की उम्र समाप्त हो रही है और नई तकनीकों की आवश्यकता महसूस हो रही है।
न्यूक्लियर पावर: भारत के लिए एक स्थिर ऊर्जा स्रोत
भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं के बढ़ते दबाव को देखते हुए, परमाणु ऊर्जा एक स्थिर और दीर्घकालिक समाधान साबित हो सकती है। भारत को अपनी बढ़ती जनसंख्या और तेजी से विकासशील उद्योगों के लिए पर्याप्त ऊर्जा की आवश्यकता है। परमाणु ऊर्जा, जो कम कार्बन उत्सर्जन के साथ ऊर्जा प्रदान करती है, इस संदर्भ में एक आदर्श विकल्प हो सकती है।
भारत की सरकार ने अपनी 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य की घोषणा की है, जिसके तहत ऊर्जा का एक बड़ा हिस्सा स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों से प्राप्त किया जाएगा। परमाणु ऊर्जा का बढ़ता योगदान इस लक्ष्य की प्राप्ति में अहम भूमिका निभाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2070 तक भारत को नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जन वाले देश बनाने का वादा भी किया है, जिसके तहत परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल और भी महत्वपूर्ण हो सकता है।
परमाणु ऊर्जा का भविष्य: समृद्धि की ओर
भारत का परमाणु ऊर्जा क्षेत्र भविष्य में तेजी से विस्तार की ओर बढ़ रहा है। यह न केवल ऊर्जा संकट के समाधान के रूप में कार्य करेगा, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर भारत की ताकत को भी बढ़ाएगा। भारत का परमाणु ऊर्जा क्षेत्र न केवल घरेलू ऊर्जा जरूरतों को पूरा करेगा, बल्कि यह वैश्विक ऊर्जा बाजार में भी अपनी स्थिति मजबूत करेगा।
परमाणु ऊर्जा संयंत्रों का विकास देश के ऊर्जा क्षेत्र को समृद्ध करेगा और साथ ही पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी लाभकारी होगा। यदि सही दिशा में योजनाएं लागू की जाती हैं, तो भारत 2032 तक अपने परमाणु ऊर्जा उत्पादन लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है और इससे भारत का वैश्विक मंच पर प्रभाव और मजबूत होगा।
भारत सरकार की यह अपील एक नई दिशा की ओर बढ़ते कदम है, जिससे न केवल देश की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि यह पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी एक महत्वपूर्ण पहल साबित होगी। राज्यों से परमाणु संयंत्र स्थापित करने की अपील भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं के समाधान के साथ-साथ प्रदूषण की समस्या के समाधान के लिए भी एक कदम है।
भारत का परमाणु ऊर्जा क्षेत्र तेजी से विस्तार की ओर बढ़ रहा है, और यह न केवल देश के ऊर्जा संकट को सुलझाने में मदद करेगा, बल्कि भारत को ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में एक मजबूत और आत्मनिर्भर देश बनाने की दिशा में भी सहायक होगा।
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