अपना उत्तराखंड

Dehradun Accident: “पापा आपने रात का खाना खा लिया, आप सो जाओ… मैं भी सोने जा रही हूं,” कामाक्षी के पिता के लिए ये थे आखिरी शब्द

Spread the love

Dehradun Accident: देहरादून के एक दिल दहला देने वाले हादसे में एक बेटी और उसकी दोस्त की असमय मौत हो गई, जिससे उनका परिवार शोक में डूब गया है। इस दर्दनाक घटना ने कामाक्षी  के पिता, तुषार सिंघल, को ऐसा गहरा धक्का पहुंचाया है, जिससे वे अभी तक उबर नहीं पाए हैं। कामाक्षी  के पिता तुषार सिंघल, जो पेशे से वकील हैं और इस समय टैक्सेशन एडवोकेट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं, ने अपनी बेटी के अंतिम शब्दों को याद करते हुए अपने आंसुओं को नहीं रोक पाए।

“पापा आपने रात का खाना खा लिया, आप सो जाओ…”

कामाक्षी  और उसकी दोस्त गुनीत सोमवार रात को ‘युवा महोत्सव’ में पवंदीप के कार्यक्रम में शामिल होने के बाद घर लौट आई थीं। दोनों बहुत खुश थीं, और रात को कामाक्षी  ने अपने पिता से आखिरी बार बात की थी। तुषार सिंघल ने बताया कि कामाक्षी  ने रात में उन्हें फोन किया था और कहा था, “पापा आपने रात का खाना खा लिया, आप सो जाओ। अब मैं भी सोने जा रही हूं।” यह कामाक्षी  के पिता के लिए उनके जीवन का सबसे दुखद क्षण बन गया, क्योंकि अगले दिन सुबह जैसे ही उन्होंने फोन उठाया, उन्हें अपनी बेटी की मौत की खबर मिली।

Dehradun Accident: "पापा आपने रात का खाना खा लिया, आप सो जाओ... मैं भी सोने जा रही हूं," कामाक्षी के पिता के लिए ये आखिरी शब्द थे 

मौत की खबर से परिवार में मचा कोहराम

कामाक्षी  के पिता ने बताया कि सोमवार रात को उनकी बेटी ने पूरी रात आराम से सोने की बात की थी, लेकिन वह नहीं जानते थे कि उसके बाद क्या हुआ। सुबह जब फोन आया तो उन्हें खबर मिली कि कामाक्षी  और उसकी दोस्त गुनीत का एक सड़क हादसे में निधन हो गया है। दोनों की मौत ने उनके परिवार को हिलाकर रख दिया। गुनीत भी कामाक्षी  के साथ थी और वह भी हादसे में मारी गई। यह घटना कामाक्षी  के पिता के लिए एक बुरा सपना बनकर सामने आई।

कामाक्षी  की शिक्षा और भविष्य

कामाक्षी , जो एक होशियार और मेहनती छात्रा थी, बी.कॉम की पढ़ाई कर रही थी और उसने हाल ही में सीए की परीक्षा दी थी। उसके पिता ने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास था कि उनकी बेटी एक दिन सीए बनकर परिवार का नाम रोशन करेगी। उन्होंने अपनी बेटी की कड़ी मेहनत और समर्पण को याद करते हुए कहा कि वह जल्द ही उनके परिवार का सहारा बनने वाली थी। हालांकि, दुख की बात यह है कि प्रकृति ने कुछ और ही तय कर रखा था।

हादसा और उसकी परिस्थितियाँ

कामाक्षी  और गुनीत, दोनों सोमवार रात को ‘युवा महोत्सव’ के कार्यक्रम से लौटने के बाद घर पहुंचीं। रात को किसी से कुछ भी कहे बिना, वे अचानक अपनी कार में बैठकर कहीं निकल गईं। इस बात की जानकारी न तो उनके परिवार को थी, और न ही उनके दोस्तों को। इसके बाद जो हुआ, वह एक बुरा हादसा था, जिसने सबको चौंका दिया। कामाक्षी  और गुनीत ने शायद इस घटना से पहले ही अपने घरवालों से बिना बताए घर छोड़ दिया था, और इस बीच किसी दोस्त के साथ कार में बैठकर हादसे का शिकार हो गईं। परिवारवाले इसे “मौत का बुलावा” मानते हैं।

कामाक्षी  की माँ की व्यथा

कामाक्षी  की माँ का दर्द और उनका दुःख भी कम नहीं था। जब कामाक्षी  की लाश श्रीमहंत इन्द्रेश अस्पताल लाई गई, तब उसकी माँ अस्पताल में मौजूद थीं। लेकिन उन्हें यह नहीं बताया गया कि उनकी बेटी अब इस दुनिया में नहीं रही। कामाक्षी  की माँ बार-बार यही कह रही थीं, “मुझे अपनी बेटी से मिलने दीजिए, वह आईसीयू में है, वह जल्दी ठीक हो जाएगी और हमारे पास लौट आएगी।” लेकिन यह असीमित दुःख और वेदना उनके लिए बर्दाश्त करना असंभव हो गया था।

घटना के बाद परिवार और समाज में शोक

कामाक्षी  और गुनीत की असमय मृत्यु ने न केवल उनके परिवार को, बल्कि समाज को भी गहरे शोक में डुबो दिया है। दोनों युवतियों की मौत ने पूरे देहरादून को शोकाकुल कर दिया है। उनके दोस्तों और परिचितों ने इसे एक अपूरणीय क्षति के रूप में देखा है। परिवार के सदस्य और रिश्तेदार अब यह सोच रहे हैं कि उनकी प्यारी बेटियां, जो इतनी मेहनत और समर्पण से अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करने के रास्ते पर चल रही थीं, अचानक इतनी जल्दी इस दुनिया से चली गईं।

तुषार सिंघल का दुःख

कामाक्षी  के पिता तुषार सिंघल ने अपने परिवार के इस अपूरणीय नुकसान के बारे में बात करते हुए कहा, “मेरे लिए मेरी बेटी की उपलब्धि और उसकी मेहनत का कोई मोल नहीं है, और अब वह हमारे बीच नहीं रही, तो यह बहुत बड़ा दुख है। मैं हमेशा अपने दिल में उसे एक सीए के रूप में देखने का सपना देख रहा था।” उनका यह बयान साफ तौर पर बताता है कि किसी भी पिता के लिए अपनी बेटी की मौत का दर्द कितना गहरा होता है।

यह दर्दनाक घटना एक और बात की याद दिलाती है कि जीवन की कोई भी स्थिति स्थायी नहीं होती। हमें हर पल को संजीदगी से जीना चाहिए और अपने परिवार के साथ बिताए हर पल का मूल्य समझना चाहिए। कामाक्षी  और गुनीत की मौत ने उनके परिवार और दोस्तों को यह अहसास दिलाया कि किसी भी खुशहाल पल को बहुत अधिक हल्के में नहीं लेना चाहिए, क्योंकि कभी भी कुछ भी हो सकता है।

यह घटना देहरादून के लिए एक बहुत बड़ा आघात है। कामाक्षी  और गुनीत का जीवन बहुत छोटी सी उम्र में समाप्त हो गया, लेकिन उनका संघर्ष और उनकी मेहनत हमेशा लोगों के दिलों में जीवित रहेगी। इस दर्दनाक घटना ने हमें यह सिखाया कि जीवन की अस्थिरता को समझते हुए हमें अपनी जान, परिवार और दोस्तों के साथ हर एक पल को भरपूर जीना चाहिए।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button