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Dehradun Pollution: देहरादून में बढ़ा प्रदूषण, सांस संबंधी मरीजों को विशेष सतर्कता की जरूरत

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Dehradun Pollution: देहरादून में इन दिनों प्रदूषण का स्तर फिर से बढ़ गया है, जिससे सांस संबंधी मरीजों के लिए खतरा बढ़ गया है। खासकर सर्दियों में जब कुहासा बढ़ता है, तो प्रदूषण का स्तर और भी खराब हो जाता है। दिवाली के बाद से ही देहरादून में वायु गुणवत्ता (AQI) लगातार प्रभावित हो रही है, और अब प्रदूषण फिर से खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है।

प्रदूषण की स्थिति

देहरादून में प्रदूषण की स्थिति और खराब हो गई, जब एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 250 के पार चला गया। यह स्थिति विशेष रूप से सांस संबंधी समस्याओं से पीड़ित लोगों के लिए चिंताजनक है। देहरादून में सर्दियों के मौसम में प्रदूषण का असर ज्यादा देखने को मिलता है, क्योंकि ठंडी हवा भारी होती है और वह प्रदूषण को जल्दी फैलने नहीं देती। इसके साथ ही, वाहनों से निकलने वाला धुंआ और कचरे को जलाने से भी प्रदूषण के स्तर में इजाफा हो रहा है।

Dehradun Pollution: देहरादून में बढ़ा प्रदूषण, सांस संबंधी मरीजों को विशेष सतर्कता की जरूरत

दिवाली के दौरान हुए प्रदूषण के बाद, देहरादून में वायु गुणवत्ता में कुछ सुधार हुआ था, लेकिन यह सुधार केवल दो दिन तक ही सीमित रहा। अब फिर से प्रदूषण का स्तर खराब हो गया है। 9 नवम्बर को देहरादून में AQI 254 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के खतरनाक स्तर को दर्शाता है। इस स्थिति में सांस के मरीजों को विशेष सतर्कता बरतने की आवश्यकता है।

प्रदूषण के कारण

वायु प्रदूषण के कई कारण हैं। इनमें मुख्य कारण वाहन प्रदूषण, उद्योगों से निकलने वाली जहरीली गैसें और कचरा जलाने की प्रक्रिया शामिल हैं। इन कारणों से निकलने वाली जहरीली गैसें और PM-2.5 कण हवा में मिलकर प्रदूषण के स्तर को बढ़ाते हैं। देहरादून को एक घाटी में स्थित होने के कारण प्रदूषण फैलने में अधिक समय लगता है। यहां प्रदूषण का सफाया जल्दी नहीं हो पाता, जिससे स्थिति और भी बिगड़ जाती है।

डॉ. पराग माधुकर धाकते, उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव ने कहा कि इन दिनों वाहन, उद्योग और अन्य स्रोतों से निकलने वाला प्रदूषण हवा में लटका हुआ है। यह प्रदूषण समय पर उड़ नहीं रहा है, जिसके कारण AQI का स्तर बढ़ता जा रहा है। इसके अलावा, सर्दियों में प्रदूषण लंबे समय तक हवा में बना रहता है, जिससे प्रदूषण का असर और बढ़ जाता है।

सर्दियों में प्रदूषण का अधिक प्रभाव

सर्दियों में प्रदूषण की समस्या और गंभीर हो जाती है। सर्द हवाएं गर्म हवाओं से घनी और धीमी गति से चलती हैं, जो प्रदूषण को स्थिर कर देती हैं। प्रदूषण के कण हवा में फंसे रहते हैं और सांस के जरिए शरीर में प्रवेश कर जाते हैं, जिससे श्वास नलिकाओं और फेफड़ों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। सर्दियों में प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ सकता है कि यह लोगों की सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकता है, खासकर उन लोगों के लिए जो पहले से सांस संबंधी समस्याओं से पीड़ित हैं।

स्वास्थ्य पर असर

श्वसन समस्याओं से पीड़ित लोगों के लिए प्रदूषण का स्तर बढ़ना गंभीर चिंता का विषय है। खासकर अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, और अन्य सांस संबंधी बीमारियों के मरीजों को इस समय अत्यधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है। प्रदूषण के कण सांस के द्वारा शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और श्वसन नलिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं। इससे खांसी, सांस लेने में तकलीफ, और फेफड़ों की समस्याएं बढ़ सकती हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, प्रदूषण के कण रक्त में घुलकर शरीर के अन्य अंगों पर भी असर डाल सकते हैं।

दीर्घकालिक असर

अगर प्रदूषण का स्तर इस तरह बढ़ता रहा, तो इसका असर दीर्घकालिक रूप से भी देखा जा सकता है। लगातार उच्च AQI से श्वसन तंत्र और हृदय प्रणाली पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है, जिससे बीमारियों का जोखिम और भी बढ़ जाएगा। इसके अलावा, उच्च प्रदूषण के कारण लोगों को चक्कर आना, सिरदर्द, आंखों में जलन, और गले में खराश जैसी समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है।

प्रदूषण नियंत्रण के उपाय

प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कई उपाय किए जा रहे हैं, लेकिन इन उपायों को और सख्त करने की जरूरत है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और अन्य स्थानीय अधिकारियों ने विभिन्न कदम उठाए हैं, जैसे कि वाहनों के धुंए को नियंत्रित करना, कचरा जलाने पर पाबंदी लगाना, और निर्माण कार्यों में प्रदूषण को नियंत्रित करने के उपायों को लागू करना। हालांकि, इन उपायों का प्रभाव तब तक अधिक नहीं हो सकता जब तक स्थानीय लोगों और पर्यावरण के प्रति जागरूकता नहीं बढ़ती।

विशेषज्ञों की सलाह

विशेषज्ञों के अनुसार, देहरादून के निवासियों को प्रदूषण के स्तर में वृद्धि के दौरान अपनी सेहत का ख्याल रखना चाहिए। खासकर सांस संबंधी समस्याओं से पीड़ित लोग मास्क का उपयोग करें और घर के अंदर रहें। साथ ही, प्रदूषण के उच्च स्तर वाले दिनों में बाहर जाने से बचना चाहिए। जिनके पास एयर प्यूरीफायर है, वे उसे उपयोग में लाकर घर के अंदर की हवा को साफ कर सकते हैं।

प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए समुचित प्रयास

देहरादून में प्रदूषण की समस्या को नियंत्रित करने के लिए सरकारी और गैर सरकारी संगठनों को मिलकर काम करना होगा। इसके लिए जन जागरूकता, सख्त नियम और बेहतर प्रदूषण नियंत्रण तकनीकों की आवश्यकता है। प्रदूषण को कम करने के लिए हमें सामूहिक प्रयासों की जरूरत है, ताकि देहरादून को एक साफ और सुरक्षित जगह बनाया जा सके।

प्रदूषण की स्थिति देहरादून में चिंताजनक बनी हुई है और इसे नियंत्रित करने के लिए सभी को मिलकर प्रयास करना होगा। खासकर प्रदूषण से प्रभावित होने वाले श्वसन रोगियों को विशेष ध्यान रखना चाहिए।

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