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Haridwar: हाथी का जंगल से निकलकर गुरुकुल कांगरी विश्वविद्यालय के परिसर में प्रवेश, मच गई अफरा-तफरी

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Haridwar:  हरिद्वार में जंगली हाथियों का शहरी इलाकों में घुसपैठ थमने का नाम नहीं ले रही है। शुक्रवार की सुबह एक हाथी जंगल से बाहर निकलकर गुरुकुल कांगरी विश्वविद्यालय के परिसर में पहुंच गया। विश्वविद्यालय में हाथी के प्रवेश से अफरा-तफरी मच गई, और लोगों को अपनी जान बचाने के लिए भागना पड़ा। हाथी काफी देर तक विश्वविद्यालय परिसर में घूमता रहा।

हाथी की अचानक मौजूदगी ने मचाई अफरातफरी

शुक्रवार सुबह जब विश्वविद्यालय में लोग अपने रोज़मर्रा के कामों में व्यस्त थे, तभी अचानक हाथी विश्वविद्यालय के परिसर में घुस आया। हाथी के आने से क्षेत्र में अफरा-तफरी मच गई, और लोग डर के मारे इधर-उधर भागने लगे। कई छात्र जो परिसर में टहल रहे थे, उन्हें अपनी जान बचाने के लिए तेज़ी से दौड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ा। हाथी शांत दिखाई दे रहा था, लेकिन उसकी उपस्थिति ने विश्वविद्यालय के छात्रों और कर्मचारियों को गहरी चिंता में डाल दिया।

हाथी ने काफी समय तक विश्वविद्यालय परिसर में घूमते हुए विभिन्न हिस्सों का दौरा किया। गुरुकुल कांगरी विश्वविद्यालय, जो हरिद्वार का एक प्रमुख शैक्षिक संस्थान है, में हजारों छात्र पढ़ाई करते हैं। ऐसे में हाथी का परिसर में प्रवेश किसी बड़े हादसे का कारण बन सकता था। हालांकि, इस घटना में किसी के घायल होने की खबर नहीं आई, लेकिन डर और घबराहट का माहौल बन गया।

Haridwar: हाथी का जंगल से निकलकर गुरुकुल कांगरी विश्वविद्यालय के परिसर में प्रवेश, मच गई अफरा-तफरी

हाथियों का शहरी इलाकों में बढ़ता घुसपैठ

अब तक हरिद्वार के जगजीतपुर इलाके में हाथियों के झुंडों के आने की घटनाएं होती रही हैं, लेकिन गुरुकुल कांगरी विश्वविद्यालय में हाथी के आने से एक नया खतरा पैदा हुआ है। जहां एक ओर हाथी सामान्य रूप से जंगलों में रहते हैं, वहीं अब ये जानवर शहरी और शैक्षिक क्षेत्रों की ओर भी बढ़ने लगे हैं। हाथियों के इस रुख को लेकर पर्यावरणविदों और स्थानीय निवासियों में चिंता बढ़ गई है।

विशेषज्ञों का मानना है कि हाथी अपनी पारंपरिक निवास स्थलों से बाहर आकर मानव बस्तियों और शहरी इलाकों की ओर बढ़ रहे हैं, क्योंकि जंगलों में उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं मिल रहे हैं। गर्मी के महीनों में पानी और भोजन की कमी हाथियों को शहरी इलाकों में जाने के लिए प्रेरित कर सकती है। गुरुकुल कांगरी विश्वविद्यालय का परिसर, जो घनी आबादी से दूर नहीं है, अब इन जंगली जानवरों के लिए एक संभावित लक्ष्य बन गया है।

वन विभाग की कोशिशों के बावजूद हाथियों को नियंत्रित करने में विफलता

हरिद्वार वन विभाग पर इस बढ़ती समस्या को नियंत्रित करने का दबाव है, लेकिन अब तक इस दिशा में कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए जा सके हैं। हालांकि, विभागीय अधिकारियों का दावा है कि हाथियों के लिए एक विशेष टीम का गठन किया गया है, जो उनके मानव बस्तियों में घुसने पर उन्हें फिर से जंगलों में वापस भेजने का काम करती है। जब भी हाथी किसी आबादी में घुसते हैं, तो यह टीम तुरंत मौके पर पहुंचकर हाथी को वापस जंगल में भेज देती है।

लेकिन इन प्रयासों के बावजूद हाथियों की बढ़ती घुसपैठ को रोक पाना संभव नहीं हो पाया है। पिछले कुछ समय में लगातार हाथियों के शहरों में घुसने की घटनाएं बढ़ी हैं, जिससे स्थानीय निवासियों में चिंता का माहौल है। हाल ही में हुए इस हाथी के गुरुकुल कांगरी विश्वविद्यालय में प्रवेश ने सुरक्षा की स्थिति पर सवाल उठाए हैं। छात्रों और अन्य कर्मचारियों की सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े हो गए हैं।

हाथी-मानव संघर्ष का खतरा

हरिद्वार में हाथी और मनुष्यों के बीच संघर्ष का खतरा लगातार बढ़ रहा है। इन जंगली जानवरों का शहरी इलाकों में आना, खासकर स्कूलों, विश्वविद्यालयों और आवासीय क्षेत्रों के पास, काफी जोखिम पैदा कर सकता है। हाथी स्वाभाविक रूप से आक्रामक नहीं होते, लेकिन जब वे खतरे को महसूस करते हैं या उनका रास्ता रोका जाता है, तो वे आक्रामक हो सकते हैं। ऐसे में किसी भी अप्रिय घटना का हो जाना कोई बड़ी बात नहीं है।

पिछले कुछ वर्षों में भारत में हाथी-मानव संघर्ष की कई घटनाएं सामने आई हैं, जिसमें कई लोग घायल हुए हैं और कुछ की जान भी चली गई है। ऐसे में अगर समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं निकाला गया तो स्थिति और खराब हो सकती है।

समाधान और भविष्य की दिशा

हरिद्वार और अन्य क्षेत्रों में हाथी-मानव संघर्ष को कम करने के लिए कुछ ठोस उपायों की जरूरत है। सबसे पहले तो यह आवश्यक है कि हाथियों के आवागमन के रास्तों को नियंत्रित किया जाए और उन्हें आबादी से दूर रखने के लिए बाड़ों और अन्य सुरक्षा उपायों की व्यवस्था की जाए। इसके अलावा, वन विभाग को और अधिक संसाधन दिए जाने चाहिए, ताकि वे हाथियों को शहरी इलाकों में घुसने से रोक सकें और उन्हें सुरक्षित रूप से उनके प्राकृतिक आवास में वापस भेज सकें।

इसके अलावा, लोगों को भी हाथियों से सुरक्षित रहने के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए। इसके लिए शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया जा सकता है, जिससे स्थानीय लोग और छात्र यह समझ सकें कि ऐसी स्थिति में क्या कदम उठाए जाएं।

हरिद्वार में हाथियों का शहरी इलाकों में घुसना एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। गुरुकुल कांगरी विश्वविद्यालय में हाथी का प्रवेश इस बात का संकेत है कि अगर समय रहते इसका समाधान नहीं निकाला गया, तो यह समस्या और भी गंभीर हो सकती है। वन विभाग की कोशिशें हालांकि जारी हैं, लेकिन इसके लिए एक ठोस और प्रभावी योजना की जरूरत है, जिससे न केवल मानव जीवन को सुरक्षित किया जा सके, बल्कि जंगली जानवरों के संरक्षण की दिशा में भी सही कदम उठाए जा सकें।

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