S. Jaishankar: भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनाव को खत्म करने के लिए अक्टूबर 2024 में जो समझौता हुआ था, उसकी पूर्णत: लागू होने में अभी समय लगेगा। इस समझौते के तहत दोनों देशों के सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, लेकिन विदेश मंत्री एस. जयशंकर के अनुसार, यह कार्य समय लेगा। मंगलवार को ऑस्ट्रेलिया के एक सार्वजनिक मंच पर भारत-चीन संबंधों पर एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सैनिकों की वापसी और पैट्रोलिंग प्रक्रिया धीरे-धीरे पूरी होगी, और यह सब 2020 के पहले की स्थिति तक वापस लौटने में कुछ समय लगेगा।
लद्दाख में LAC पर तनाव और समझौता
भारत और चीन के बीच लद्दाख क्षेत्र में LAC के पास अप्रैल 2020 से तनाव बढ़ा था, जिसके कारण दोनों देशों के बीच सामान्य रिश्तों पर भी असर पड़ा। हजारों सैनिक और भारी सैन्य उपकरण दोनों पक्षों ने तैनात किए थे। लेकिन, लगातार बातचीत और संवाद के बाद अक्टूबर 2024 में दोनों देशों के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ, जिसमें सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया शुरू की गई है। इस समझौते का मुख्य उद्देश्य LAC पर तनाव कम करना और दोनों देशों के बीच शांति और स्थिरता को बढ़ावा देना है।
सैनिकों की वापसी और पैट्रोलिंग कार्य में समय लगेगा
जयशंकर ने इस समझौते को लेकर कहा कि सैनिकों की वापसी का कार्य चल रहा है, लेकिन यह पूरी प्रक्रिया जल्द नहीं होगी। उन्होंने कहा कि यह काम धीरे-धीरे होगा और दोनों देशों के सैनिकों को 2020 से पहले की स्थिति में वापस भेजने में समय लगेगा। इसके साथ ही, पैट्रोलिंग का कार्य भी शुरू हो चुका है, लेकिन यह कार्य भी उसी गति से पूरा होगा। जयशंकर ने कहा कि सब कुछ एक साथ नहीं होगा, इस पर कई स्तरों पर चर्चा होगी, और इसे समय के साथ किया जाएगा।
दोनों देशों के बीच समझौते पर टिप्पणी
भारत और चीन के बीच यह तनावपूर्ण स्थिति 2020 में तब बढ़ी जब दोनों देशों के सैनिकों के बीच सीमा पर मुठभेड़ें हुईं और कई सैनिक मारे गए। इसके बाद से दोनों देशों के बीच सीमा विवाद गहरा गया था, और कई महीनों तक तनाव बना रहा। इस दौरान, दोनों देशों ने सीमा पर अपने सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी थी, जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा पर गंभीर असर पड़ा। लेकिन अक्टूबर 2024 में दोनों देशों के नेताओं ने मिलकर एक समझौता किया, जिसके तहत सैनिकों की वापसी और सीमा पर तनाव कम करने की प्रक्रिया शुरू की गई।
जयशंकर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुए समझौतों के बाद यह निर्णय लिया गया है कि दोनों देशों के विदेश मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और अन्य अधिकारी आपस में बातचीत करेंगे, ताकि द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य किया जा सके। उन्होंने कहा कि अब यह इस बात पर निर्भर करेगा कि हम किस गति से इस चर्चा को आगे बढ़ाते हैं और कितना समय इसमें लगता है।
भारत-चीन संबंधों का भविष्य
जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत-चीन संबंधों का भविष्य बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि भारत के लिए यह प्राथमिकता है कि दोनों देशों के सैनिक एक-दूसरे से दूर रहें और LAC पर शांति बनी रहे। दोनों देशों की सेनाओं को 2020 से पहले की स्थिति पर लाने की प्रक्रिया में वक्त लगेगा, लेकिन यह काम जारी है। इस समझौते का उद्देश्य दोनों देशों के बीच शांति को बढ़ावा देना और क्षेत्रीय स्थिरता को बनाए रखना है।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि दोनों पक्षों के संतोषजनक समाधान को सुनिश्चित करना जरूरी है। दोनों देशों के रिश्तों में आगे क्या होगा, इस पर उन्होंने कहा कि यह बहुत महत्वपूर्ण है कि दोनों देशों के बीच सकारात्मक और रचनात्मक दृष्टिकोण से काम किया जाए।
क्या हैं समझौते के महत्वपूर्ण बिंदु?
इस समझौते में सबसे अहम बात यह है कि दोनों देशों के बीच LAC पर तनाव को कम करने के लिए विशेष उपाय किए गए हैं। समझौते के तहत, दोनों देशों ने अपने सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया शुरू की है, जिससे सीमा पर शांति बनाए रखने में मदद मिल सकती है। इसके अलावा, पैट्रोलिंग का काम भी शुरू किया गया है, ताकि सीमा पर निगरानी बनाए रखी जा सके और किसी प्रकार की नई तकरार से बचा जा सके। हालांकि, यह काम लंबी प्रक्रिया हो सकती है, और इसमें कई महीनों तक समय लग सकता है।
जयशंकर का दृष्टिकोण
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य करना एक जटिल प्रक्रिया है, और इसमें समय लगेगा। उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रक्रिया में केवल सैनिकों की वापसी नहीं, बल्कि कई अन्य पहलुओं पर भी चर्चा करनी होगी, जैसे कि सीमा पर सुरक्षा, व्यापारिक संबंध और अन्य मुद्दे। इस समझौते को लागू करने के लिए दोनों देशों को आपसी विश्वास और सहयोग की आवश्यकता होगी।
आगे की राह
जयशंकर ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत और चीन के रिश्ते भविष्य में और भी अधिक महत्वपूर्ण हो सकते हैं। इन दोनों देशों के बीच तनाव कम करने के बाद, उनके बीच व्यापारिक और कूटनीतिक रिश्ते बेहतर हो सकते हैं। हालांकि, यह सब एक दीर्घकालिक प्रक्रिया होगी और इसमें समय लग सकता है। विदेश मंत्री ने इस बात को स्वीकार किया कि LAC पर स्थिति सामान्य होने में कुछ समय लगेगा, लेकिन यह शुरुआत है, और दोनों देशों के लिए यह एक सकारात्मक कदम हो सकता है।
भारत और चीन के बीच LAC पर स्थिति को सामान्य करने की प्रक्रिया अब धीरे-धीरे शुरू हो चुकी है। विदेश मंत्री जयशंकर का कहना है कि इसे जल्दी नहीं किया जा सकता और इसमें समय लगेगा। समझौते के तहत सैनिकों की वापसी और सीमा पर पैट्रोलिंग शुरू हो गई है, लेकिन इसे पूरी तरह से लागू करने में समय लगेगा। जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत-चीन संबंधों का भविष्य बहुत महत्वपूर्ण है और इस पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। यह समझौता दोनों देशों के लिए शांति और स्थिरता की ओर एक सकारात्मक कदम हो सकता है, लेकिन इसे लागू करने में समय जरूर लगेगा।