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Kedarnath: आज बाबा केदार की शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में होगी पूजा, छह महीने यहां होंगे श्रद्धालु

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Kedarnath: भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित केदारनाथ मंदिर, भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है, और इसे विशेष रूप से हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। जैसे ही गर्मियों का मौसम समाप्त होता है, बाबा केदार की मूर्तियों की यात्रा उनके शीतकालीन निवास ओंकारेश्वर मंदिर, ऊखीमठ के लिए होती है। यह अनुष्ठान हर साल होता है और इस साल भी, आज (मंगलवार) बाबा केदार की चल विघ्न का विधिविधान के साथ ओंकारेश्वर मंदिर में प्रतिष्ठा की जाएगी।

बाबा केदार की चल विघ्न की यात्रा

सोमवार को, बाबा केदार की चल विघ्न ने रामपुर से अपनी यात्रा शुरू की। यह यात्रा श्री विश्वनाथ मंदिर, गुप्तकाशी के लिए दूसरी रुकावट पर पहुंची, जहां सैकड़ों श्रद्धालुओं ने बाबा के आशीर्वाद के लिए दर्शन किए। सुबह 7 बजे, रामपुर में मुख्य पुजारी शिव शंकर लिंग ने भगवान केदारनाथ का अभिषेक कर आरती की। इसके बाद, बाबा केदार की चल विघ्न बैंड की धुनों और श्रद्धालुओं के जयकारों के बीच अपने शीतकालीन निवास की ओर बढ़ी।

Kedarnath: आज बाबा केदार की शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में होगी पूजा, छह महीने यहां होंगे श्रद्धालु

दोपहर में, यह दुल्हन बागडवाल धार, बदासु, फाटा, खरिया, माइखंडा, ब्युंग, और खुमेरा होते हुए पहुंची। इस यात्रा के दौरान, नयनाभिराम दृश्यों और पहाड़ी क्षेत्रों की सुंदरता ने भक्तों का मन मोह लिया। यहां नरायणकोटी और कोठेडा के गांववासियों ने बाबा की दुल्हन का स्वागत किया और श्रद्धालुओं का उत्साह बढ़ाया।

ओंकारेश्वर मंदिर में बाबा केदार का स्वागत

बाबा केदार की चल विघ्न ने अपने शीतकालीन निवास ओंकारेश्वर मंदिर, ऊखीमठ में प्रवेश किया, जहां सभी तैयारियाँ धूमधाम से की गई थीं। मंदिर को फूलों और मालाओं से सजाया गया था, जिससे वातावरण भक्तिमय हो गया। यह एक खास अवसर है, जब बाबा केदार की मूर्ति ओंकारेश्वर मंदिर में स्थापित होती है, और यहां आगामी छह महीनों तक पूजा अर्चना की जाएगी।

बाबा केदार के आने की तैयारी में केदारनाथ मंदिर के प्रभारी यदुवीर पुष्पवान, प्रबंधक भागवती प्रसाद सेमवाल, दुल्हन प्रभारी प्रदीप सेमवाल, पुजारी शिव लिंग और कुलदीप धरमवान भी मौजूद थे। उन्होंने सभी धार्मिक क्रियाओं का संचालन किया और भक्तों को पूजा में सम्मिलित होने का मौका दिया।

पवित्रता और श्रद्धा का प्रतीक

कई श्रद्धालु इस अवसर पर दूर-दूर से आए हैं, जो बाबा केदार की भक्ति में डूबे हुए हैं। बाबा केदार की पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह एक भावना है जो लोगों को जोड़ती है। भक्तों की आस्था और भक्ति के चलते, यह पूजा हर साल एक विशेष महत्व रखती है।

पर्वतीय क्षेत्रों में, जहां साधारण जीवन और कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, वहां बाबा केदार का आशीर्वाद और उनकी उपस्थिति लोगों के लिए एक संजीवनी का काम करती है। बाबा केदार की महिमा, उनकी कृपा, और उनके प्रति श्रद्धा से भरी यह यात्रा, हर साल भक्तों के लिए एक नया अनुभव लेकर आती है।

महत्वपूर्ण धार्मिक क्रियाएं

ओंकारेश्वर मंदिर में बाबा केदार की मूर्ति की स्थापना के साथ कई धार्मिक क्रियाएँ होती हैं। इन क्रियाओं में पूजा, अर्चना, हवन, और भोग लगाना शामिल है। भक्तों को इस समय के दौरान भगवान की आराधना करने का विशेष मौका मिलता है। इसके अलावा, मंदिर में विशेष कार्यक्रम और भजन-कीर्तन का आयोजन भी होता है, जिससे भक्तों का मन प्रफुल्लित हो जाता है।

इस समय, भक्त न केवल पूजा-अर्चना करते हैं, बल्कि अपने जीवन की समस्याओं और परेशानियों को भी बाबा के चरणों में अर्पित करते हैं। बाबा केदार का आश्रय लेने से भक्तों को मानसिक और आध्यात्मिक शांति मिलती है, जो उनके जीवन को नई दिशा प्रदान करती है।

उत्सव और श्रद्धालुओं का सैलाब

बाबा केदार के शीतकालीन निवास के अवसर पर, मंदिर के चारों ओर श्रद्धालुओं की एक बड़ी भीड़ देखी जाती है। लोग भक्ति गीत गाते हैं, नृत्य करते हैं और बाबा के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं। यह एक ऐसा समय होता है जब भक्तों का संकल्प और आस्था और भी मजबूत हो जाती है।

भक्तों का यह सैलाब दिखाता है कि आज भी लोगों के दिलों में धार्मिकता और भक्ति की भावना जीवित है। चाहे वह ग्रामीण हो या शहरी, सभी के दिल में बाबा के प्रति अपार श्रद्धा है। यह सिर्फ एक मंदिर नहीं है, बल्कि यह एक भावनात्मक स्थान है जो लोगों को जोड़ता है।

बाबा केदार का ओंकारेश्वर मंदिर, ऊखीमठ में स्थित होने के कारण, केवल एक पवित्र स्थान नहीं है, बल्कि यह श्रद्धा, भक्ति और आस्था का प्रतीक है। यह जगह हर साल भक्तों के लिए एक नया अनुभव लेकर आती है, जो उनकी जीवन यात्रा में महत्वपूर्ण मोड़ प्रदान करती है। बाबा केदार की उपस्थिति से लोग मानसिक शांति, आत्मिक बल, और धार्मिकता का अनुभव करते हैं।

बाबा केदार की इस शीतकालीन यात्रा के माध्यम से, हम सभी को यह समझना चाहिए कि आस्था और भक्ति का महत्व क्या होता है। इस समय, जब बाबा केदार अपनी शीतकालीन सीट पर विराजमान होंगे, तब हमें भी उनके प्रति अपनी भक्ति और श्रद्धा अर्पित करनी चाहिए, जिससे हमारी जीवन यात्रा और भी सुखद और समृद्ध हो सके।

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