Chardham Yatra: गंगोत्री धाम के द्वार आज शीतकाल के लिए बंद, यहां छह महीने तक होगी पूजा
Chardham Yatra: चार धामों में से प्रमुख गंगोत्री धाम के द्वार आज, शनिवार को दोपहर 12:14 बजे, अन्नकूट महोत्सव के अवसर पर शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। द्वार बंद होने के बाद, माँ गंगा को उनके शीतकालीन प्रवास मखबा स्थित गंगा मंदिर में देखा जाएगा। इसी तरह, यमुनोत्री धाम के द्वार रविवार को भाई दूज के त्यौहार पर सुबह 12:05 बजे बंद किए जाएंगे।
गंगोत्री धाम का महत्व
गंगोत्री धाम को हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। यहाँ भक्तजन हर साल बड़ी संख्या में माँ गंगा के दर्शनों के लिए आते हैं। यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक महत्त्व श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। गंगोत्री धाम की पूजा-अर्चना के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु हर वर्ष यात्रा करते हैं।
द्वार बंद करने की प्रक्रिया
श्री पंच गंगोत्री मंदिर समिति के सचिव सुरेश सेमवाल ने बताया कि गंगोत्री धाम के द्वार बंद करने की प्रक्रिया शुक्रवार को दीपोत्सव के साथ शुरू हुई थी। उन्होंने कहा कि द्वार बंद होने के बाद माँ गंगा की उत्सव मूर्ति को दुली यात्रा के साथ शीतकालीन ठिकाने मखबा ले जाया जाएगा। इस अवसर पर भक्तजन विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं और अपनी श्रद्धा अर्पित करते हैं।
यमुनोत्री धाम की तैयारी
वहीं, यमुनोत्री धाम के द्वार बंद करने की तैयारी भी जोरों पर है। रविवार को, यमुनोत्री धाम के द्वार बंद होने के बाद, माँ यमुना की उत्सव मूर्ति खरसाली गांव के लिए प्रस्थान करेगी। श्रद्धालु शीतकाल के दौरान वहाँ स्थित माँ यमुना के मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना कर सकेंगे। दोनों धामों और उनके शीतकालीन ठिकानों को फूलों से सजाया जा रहा है, जिससे भक्तों का स्वागत किया जा सके।
यात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या
यात्रा के दौरान, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में शुक्रवार शाम तक 15,21,752 श्रद्धालु पहुंचे हैं। इसमें यमुनोत्री धाम में 7.10 लाख श्रद्धालु आए हैं, जबकि गंगोत्री धाम में 8.11 लाख श्रद्धालु पहुंचे हैं। यह संख्या इस बात का प्रमाण है कि श्रद्धालु इन तीर्थ स्थलों के प्रति कितने उत्सुक हैं और यहाँ आने के लिए कितनी दूर से यात्रा करते हैं।
भक्तों की श्रद्धा
इस यात्रा के दौरान भक्तजन न केवल धार्मिक अनुष्ठान करते हैं, बल्कि स्थानीय संस्कृति और परंपराओं का भी अनुभव करते हैं। गंगोत्री और यमुनोत्री जैसे धामों की यात्रा न केवल आध्यात्मिक यात्रा है, बल्कि यह एक अद्भुत सांस्कृतिक अनुभव भी है। भक्तजन यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता और शांति का आनंद लेते हैं, जो उनकी आत्मा को शांति और सुकून देती है।
स्थानीय प्रशासन की भूमिका
स्थानीय प्रशासन भी यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा का विशेष ध्यान रख रहा है। प्रशासन ने यह सुनिश्चित किया है कि सभी श्रद्धालुओं को आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। यात्रा के दौरान यातायात, स्वास्थ्य सेवाएं और अन्य जरूरी इंतजाम किए गए हैं ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की कठिनाई का सामना न करना पड़े।
गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के द्वार बंद होने से पहले, भक्तों की भारी भीड़ यहाँ अपने श्रद्धा भाव से आई है। इन धामों में पूजा और अर्चना की परंपरा सदियों पुरानी है और हर साल लाखों लोग यहाँ आते हैं। शीतकाल के दौरान भी भक्तों को यहाँ पूजा का अवसर मिलेगा, जिससे उनकी आस्था और बढ़ती है।
गंगोत्री धाम के बंद होने के बाद, श्रद्धालु मखबा स्थित गंगा मंदिर में अपनी पूजा जारी रख सकेंगे। यह यात्रा न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह स्थानीय संस्कृति को भी जीवित रखती है। आगामी महीनों में, जब दोनों धाम शीतकाल में अपने ठिकाने पर रहेंगे, तब भी भक्तजन अपनी श्रद्धा के साथ यहाँ पहुँचते रहेंगे।
गंगोत्री और यमुनोत्री की यह यात्रा भारतीय संस्कृति और परंपरा का एक अद्भुत उदाहरण है, जो हर साल श्रद्धालुओं को एक नई ऊर्जा और विश्वास प्रदान करती है। सभी भक्तों को इस अवसर पर शुभकामनाएँ!