Uttarakhand: उत्तराखंड सरकार ने बॉर्डर और आपदा प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं की शक्ति को सशक्त बनाने के लिए युवा नीति में जेंडर बजट के प्रावधान की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। यह पहल 15 से 29 वर्ष की आयु की लड़कियों को आर्थिक विकास के अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से की जा रही है, ताकि पहाड़ी क्षेत्रों से युवाओं का पलायन रोका जा सके और स्थानीय लड़कियों को आत्म-नियोजित रोजगार और अन्य योजनाओं के माध्यम से सशक्त बनाया जा सके।
युवा नीति का ड्राफ्ट
युवाओं के कल्याण मंत्री रेखा आर्या ने कहा कि युवा नीति बनाने की प्रक्रिया में लड़कों और लड़कियों को समान रूप से नहीं आंका जा सकता। पहाड़ी और बॉर्डर क्षेत्रों में रहने वाले युवाओं की चुनौतियाँ और जरूरतें भिन्न हैं, और इस पर नीति निर्माण की प्रक्रिया में विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस संदर्भ में पिछली समीक्षा बैठक में निर्देश दिए गए थे, जिसके तहत योजना विभाग और युवा कल्याण विभाग की टीम काम कर रही है। उम्मीद जताई जा रही है कि अगले दो महीनों में युवा नीति का ड्राफ्ट तैयार कर कैबिनेट के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। इसके साथ ही, इस नीति को 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर उत्तराखंड के युवाओं को समर्पित किया जाएगा।
भौगोलिक स्थितियों का ध्यान
मंत्री ने बताया कि नीति बनाने के दौरान बॉर्डर और दूरदराज के पहाड़ी क्षेत्रों के युवाओं की भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखा जा रहा है। इन क्षेत्रों के युवाओं की आवश्यकताएं अलग हैं। वहां की लड़कियों की चुनौतियाँ भी भिन्न हैं; वे लड़कों की तरह दूरदराज के क्षेत्रों में नहीं जा सकतीं और परिवहन व आवास का खर्च भी नहीं उठा सकतीं। इसी प्रकार, जनजातीय युवाओं, वनराजि जनजाति के लड़के-लड़कियों, अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के युवाओं की आवश्यकताओं का भी ध्यान रखा जाएगा।
युवाओं की आवश्यकताओं का सर्वेक्षण
मंत्री रेखा आर्या के निर्देश पर, विभागीय टीम बॉर्डर , दूरदराज के पहाड़ी क्षेत्रों और आपदा प्रभावित क्षेत्रों में विशेष रूप से नारी शक्ति के युवाओं की आवश्यकताओं और सुझावों पर एक सर्वेक्षण कर रही है। इस सर्वेक्षण के आधार पर युवा नीति के ड्राफ्ट में जेंडर बजट को शामिल करने के लिए काम किया जा रहा है। एक सूची तैयार की जा रही है जिसमें संबंधित प्रश्न और उत्तर शामिल होंगे, ताकि उचित परिणाम हासिल किए जा सकें।
आर्थिक सशक्तिकरण का लक्ष्य
इस नीति के तहत युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए विशेष योजनाएं बनाई जाएंगी। स्थानीय स्तर पर स्वरोजगार के अवसरों को बढ़ावा दिया जाएगा, ताकि युवा अपनी क्षमता का सही उपयोग कर सकें और अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत बना सकें। यह पहल न केवल युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा करेगी, बल्कि इससे स्थानीय समुदायों के विकास में भी योगदान मिलेगा।
सरकारी प्रयासों का महत्व
उत्तराखंड सरकार का यह कदम यह दर्शाता है कि वह युवाओं की समस्याओं और उनके विकास के प्रति गंभीर है। महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में उठाए गए कदम न केवल समाज में लैंगिक असमानता को कम करने में सहायक होंगे, बल्कि इससे युवा पीढ़ी में आत्म-विश्वास और आत्म-निर्भरता की भावना भी विकसित होगी।
युवाओं की समस्याओं को समझना और उनके लिए सही नीतियों का निर्माण करना किसी भी सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए। उत्तराखंड सरकार की यह पहल एक सकारात्मक दिशा में कदम है, जो बॉर्डर और आपदा प्रभावित क्षेत्रों की महिलाओं और युवाओं को सशक्त बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। आने वाले समय में, जब यह नीति लागू होगी, तो इसका प्रभाव साफ-साफ देखने को मिलेगा। इससे न केवल युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे, बल्कि यह समाज के विकास में भी योगदान देगा।
यह योजना अन्य राज्यों के लिए भी एक उदाहरण स्थापित कर सकती है, जहां बॉर्डर और पिछड़े क्षेत्रों में महिलाओं और युवाओं के लिए समान अवसर सुनिश्चित किए जा सकें। भारत में, विशेष रूप से पहाड़ी और ग्रामीण क्षेत्रों में, युवा शक्ति का विकास बहुत आवश्यक है। इस तरह की नीतियाँ न केवल सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करेंगी, बल्कि युवाओं के आत्म-सम्मान और आत्मनिर्भरता को भी बढ़ावा देंगी।