Uttarakhand में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया जा रहा है। 18 अक्टूबर 2024 को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को UCC मैनुअल रिपोर्ट सौंपी जाएगी। इसी दिन, मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एक विशेष समिति के साथ बैठक भी बुलाई गई है। यह बैठक और रिपोर्ट उत्तराखंड में UCC लागू करने के लिए मार्गदर्शक होगी, जिससे राज्य को भारत के बाकी हिस्सों के लिए एक आदर्श मॉडल बनाया जा सकेगा।
क्या है समान नागरिक संहिता (UCC)?
समान नागरिक संहिता (UCC) का उद्देश्य देश के सभी नागरिकों के लिए समान कानूनों का एक समूह तैयार करना है, चाहे उनका धर्म, जाति, या लिंग कुछ भी हो। UCC के अंतर्गत, विवाह, तलाक, संपत्ति के उत्तराधिकार, और गोद लेने जैसे मुद्दों पर एक समान कानून लागू होगा, जो धर्म आधारित व्यक्तिगत कानूनों को हटाकर सभी नागरिकों के लिए एक समान कानूनी ढांचा तैयार करेगा। भारत के संविधान में अनुच्छेद 44 में इसका उल्लेख किया गया है, जो राज्य से अपेक्षा करता है कि वह देश के नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता को प्रोत्साहित करे।
उत्तराखंड में UCC की दिशा में प्रयास
उत्तराखंड की सरकार ने समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए दृढ़ता से कदम उठाए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में सरकार ने UCC के मैनुअल और उसके कार्यान्वयन पर विचार-विमर्श करने के लिए एक विशेष समिति का गठन किया। इस समिति का प्रमुख उद्देश्य UCC को राज्य में प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए विस्तृत मैनुअल तैयार करना और इसके लिए आवश्यक संसाधनों की तैयारी करना था। समिति ने पिछले कुछ महीनों में इस दिशा में कार्य किया है और अब अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपने के लिए तैयार है।
मैनुअल तैयार करने की प्रक्रिया
समिति ने समान नागरिक संहिता के मैनुअल को तैयार करने के लिए कई चरणों में कार्य किया। इस प्रक्रिया के दौरान, उन्होंने विभिन्न धार्मिक और सामाजिक समूहों से परामर्श किया और उनकी राय को ध्यान में रखा। मैनुअल के अंतिम संस्करण को समिति द्वारा अनुमोदित किया गया और उसे प्रकाशन के लिए भेज दिया गया। समिति ने इसे समय पर पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत की, और अब 18 अक्टूबर को मुख्यमंत्री को यह मैनुअल सौंपा जाएगा।
समिति के अध्यक्ष शत्रुघ्न सिंह ने बताया कि मैनुअल के साथ-साथ UCC के लिए एक वेबसाइट और मोबाइल एप्लिकेशन भी तैयार किए जा रहे हैं, जो लगभग पूरा हो चुका है। इसका उद्देश्य जनता को UCC से संबंधित जानकारी तक आसान पहुंच प्रदान करना है।
UCC के लिए मुख्यमंत्री के साथ विशेष बैठक
18 अक्टूबर को मैनुअल की प्रस्तुति के बाद, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक विशेष बैठक भी बुलाई है। इस बैठक में UCC पर चर्चा करने के लिए विशेष समिति के सदस्य और अन्य प्रमुख अधिकारी शामिल होंगे। इस बैठक का उद्देश्य मैनुअल में सुझाए गए नियमों और दिशानिर्देशों पर चर्चा करना और UCC के कार्यान्वयन के लिए आगे की रणनीति तैयार करना है।
हालांकि बैठक का एजेंडा अभी स्पष्ट नहीं हुआ है, लेकिन यह उम्मीद की जा रही है कि इसमें UCC को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए सभी आवश्यक कदमों पर चर्चा की जाएगी। यह बैठक इस दिशा में अंतिम और निर्णायक कदम साबित हो सकती है, जिससे राज्य में UCC को लागू करने की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाएगी।
मैनुअल के प्रमुख बिंदु और चुनौतियाँ
UCC मैनुअल में समान नागरिक संहिता के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जैसे कि विवाह, तलाक, गोद लेने, और संपत्ति के उत्तराधिकार के नियम। इस मैनुअल का उद्देश्य विभिन्न धर्मों और समाज के विभिन्न वर्गों के बीच किसी भी प्रकार के भेदभाव को समाप्त करना और एक समान कानूनी ढांचे को तैयार करना है।
हालांकि UCC को लागू करने में कई चुनौतियाँ भी होंगी, क्योंकि विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक समूहों की अपनी परंपराएँ और नियम होते हैं। समिति ने इन सभी मुद्दों को ध्यान में रखकर मैनुअल तैयार किया है, ताकि सभी पक्षों की राय का सम्मान करते हुए समान नागरिक संहिता को लागू किया जा सके।
UCC के लाभ
समान नागरिक संहिता को लागू करने के कई संभावित लाभ हैं। सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि यह सभी नागरिकों के लिए एक समान और निष्पक्ष कानून सुनिश्चित करेगा। इससे न्यायिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और न्यायिक सिस्टम में एकरूपता आएगी।
इसके अलावा, UCC व्यक्तिगत स्वतंत्रता को बढ़ावा देगा और लिंग आधारित भेदभाव को समाप्त करेगा। वर्तमान में विभिन्न धर्मों के लिए अलग-अलग व्यक्तिगत कानून हैं, जो अक्सर महिलाओं और कमजोर वर्गों के साथ अन्याय करते हैं। UCC के लागू होने से यह भेदभाव समाप्त हो जाएगा और सभी को एक समान न्याय प्राप्त होगा।
उत्तराखंड: एक मॉडल राज्य
उत्तराखंड सरकार ने समान नागरिक संहिता को लागू करने की दिशा में एक अग्रणी भूमिका निभाई है। मुख्यमंत्री धामी की इस पहल को देश भर में सराहना मिल रही है। यदि उत्तराखंड में UCC सफलतापूर्वक लागू हो जाता है, तो यह देश के अन्य राज्यों के लिए भी एक मॉडल साबित हो सकता है।
समान नागरिक संहिता का लक्ष्य केवल एक कानूनी ढांचा नहीं है, बल्कि यह एक प्रगतिशील समाज की दिशा में बढ़ाया गया कदम है। यह सभी नागरिकों को समान अधिकार और न्याय दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।