Dehradun police: नौकरी के नाम पर लाखों की धोखाधड़ी, देहरादून पुलिस ने नकली फर्जी कंसलटेंसी का भंडाफोड़ किया

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Dehradun police: देहरादून में, डालानवाला कोतवाली पुलिस ने विदेश भेजने के नाम पर लाखों रुपये की धोखाधड़ी करने वाले एक दंपती के खिलाफ मामला दर्ज किया है। इस संदर्भ में, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह ने कहा कि इससे पहले भी कई बार ऐसे नकली परामर्श एजेंसियों के खिलाफ मामले दर्ज किए जा चुके हैं जो लोगों को विदेश भेजने के नाम पर धोखा देती हैं। हाल ही में, पांच पीड़ितों और उनके परिजनों ने एक फर्म, प्राइड गोल्ड ग्लोबल एजुकेशन और उसके ऑपरेटर के खिलाफ धोखाधड़ी की शिकायत की है, जिसमें उन लोगों से लाखों रुपये की ठगी की गई है जो उन्हें विदेश में नौकरी दिलाने का वादा कर रहे थे।

शिकायतों की जांच का आदेश

शिकायत को गंभीरता से लेते हुए, डालानवाला के क्षेत्र अधिकारी को संबंधित फर्म के खिलाफ जांच करने का आदेश दिया गया। जांच के दौरान यह पता चला कि प्राइड गोल्ड ग्लोबल एजुकेशन नामक परामर्श फर्म को कुणाल नारायण उनियाल और उनकी पत्नी गीतांजलि उनियाल चला रहे हैं। आरोपियों ने विदेश में अच्छी नौकरी लगाने के लिए इंटरनेट मीडिया के माध्यम से प्रचार फैलाया था। पीड़ितों, जिनमें कृष्ण प्रसाद, सिद्धार्थ थापा, ओबेद अमीर, साकिब और राजन शर्मा शामिल हैं, ने उज्ज्वल भविष्य की तलाश में इस फर्म से संपर्क किया था।

विदेश में नौकरी के झूठे वादे

फर्म के निदेशक कुणाल नारायण उनियाल, उनकी पत्नी गीतांजलि उनियाल और एक अन्य सहयोगी ने इन पांच पीड़ितों को पोलैंड, लिथुआनिया, नॉर्वे, ऑस्ट्रिया, हंगरी और अन्य यूरोपीय देशों में नौकरी दिलाने के नाम पर लाखों रुपये की धोखाधड़ी की। उन्होंने पंजीकरण, वर्क परमिट, वीजा और विदेश भेजने की पुष्टि के नाम पर पैसे मांगे। आरोपियों ने लगातार पीड़ितों को धोखे में रखा और विभिन्न कारणों और बहानों के माध्यम से उनसे पैसे ठगे। जब पीड़ितों ने आरोपियों पर संदेह किया और अपने पैसे वापस मांगे, तो आरोपियों ने उन्हें धमकाया।

गंभीरता से लिया गया मामला

एसएसपी ने कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए दालानवाला थाने में आरोपियों और उनके सहयोगियों के खिलाफ चार अलग-अलग मामले दर्ज किए गए हैं। यह कार्रवाई यह साबित करती है कि पुलिस ऐसे मामलों को कितनी गंभीरता से ले रही है, जहां लोग न केवल आर्थिक रूप से प्रभावित होते हैं, बल्कि उनके भविष्य के सपने भी चुराए जाते हैं।

फर्जी दस्तावेजों से मृत्यु प्रमाणपत्र बनाना

इस मामले के साथ-साथ एक अन्य धोखाधड़ी की घटना भी सामने आई है, जिसमें नगर निगम में फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से मृत्यु प्रमाणपत्र बनाने का मामला उजागर हुआ है। शिकायत के बाद, जब विभागीय जांच में आरोप सही पाए गए, तो जारी किया गया प्रमाणपत्र रद्द कर दिया गया। इस संबंध में, नगर निगम के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अविनाश खन्ना ने पुलिस को शिकायत दर्ज कराई।

शिकायतकर्ता ने, जो कि रामसहाय के पुत्र के रूप में खुद को पेश कर रहा था, नगर निगम में शिकायत पत्र और दस्तावेज प्रस्तुत किए। जांच में यह पाया गया कि रामसहाय नाम के व्यक्ति का मृत्यु प्रमाणपत्र नगर निगम से गलत जानकारी के आधार पर जारी किया गया था। शिकायतकर्ता ने कहा कि यह प्रमाणपत्र मनमोहन सिंह निवासी ऊपरी टुनवाला रायपुर के लिए बनाया गया था, जिसमें मृत्यु का स्थान और अंतिम संस्कार का स्थान गलत दर्शाया गया था।

नगर निगम की छवि को नुकसान

इस स्थिति में, नगर निगम ने प्रमाणपत्र को रद्द कर दिया है। पुलिस से इस मामले में धोखाधड़ी करने और निगम की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए मामला दर्ज करने की मांग की गई है। यह घटना यह दर्शाती है कि कैसे कुछ लोग प्रशासनिक प्रक्रियाओं का दुरुपयोग कर सकते हैं, और इसे रोकने के लिए सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है।

समाज में जागरूकता की आवश्यकता

इन दोनों मामलों ने यह दिखाया है कि लोगों को सावधान रहने की आवश्यकता है, विशेष रूप से जब बात विदेश में नौकरी या प्रशासनिक सेवाओं से संबंधित हो। लोगों को चाहिए कि वे किसी भी फर्म या एजेंसी के बारे में पूरी जानकारी लें और संदिग्ध गतिविधियों की रिपोर्ट करें। साथ ही, सरकार और संबंधित संस्थाओं को चाहिए कि वे ऐसे मामलों की रोकथाम के लिए सख्त नियम और कानून लागू करें।

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