Uttarakhand: नवरात्रि के पावन पर्व पर आज पूरे उत्तराखंड में देवी दुर्गा के महागौरी और सिद्धिदात्री रूपों की पूजा धूमधाम से हो रही है। घर-घर में कन्या पूजन का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें कन्याओं के पैर धोकर उन्हें हलवा, पूरी, चने का प्रसाद और फल अर्पित किए जा रहे हैं। उपहार भी दिए जा रहे हैं। इसी बीच, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी अपनी पत्नी गीता धामी के साथ कन्या पूजन कर आशीर्वाद लिया और प्रदेश की सुख-शांति, समृद्धि और कल्याण की कामना की।
बाजारों में उमड़ी भीड़
देवभूमि के प्रमुख शहरों में नवरात्रि के अंतिम दिनों में पूजा सामग्री और उपहारों की खरीदारी के लिए लोगों की भारी भीड़ देखी जा रही है। खासकर देहरादून में अष्टमी और नवमी तिथि एक ही दिन होने के कारण पूजा के सामानों और उपहारों की दुकानों पर जमकर खरीदारी हो रही है। लोग चुनरी, नारियल, प्रसाद, और अन्य पूजा सामग्री खरीदने के लिए बाजार पहुंचे।
हनुमान चौक, झंडा बाजार, धर्मपुर, प्रेमनगर, पटेलनगर, और करनपुर जैसे प्रमुख बाजारों में सुबह से लेकर शाम तक पूजा सामग्री की खरीदारी करने वालों का तांता लगा रहा। हनुमान चौक पर स्थित एक पूजा सामग्री विक्रेता आलोक ने बताया कि इस बार नवरात्रि के साथ ही त्योहारों के सीजन की शुरुआत होते ही बाजार में अच्छी रौनक देखी जा रही है।
अष्टमी-नवमी आज एक साथ
माता संतला देवी मंदिर के पुजारी पंडित सुमित शर्मा के अनुसार, हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि शुक्रवार को दोपहर 12:06 बजे समाप्त हो रही है। इसके बाद नवमी तिथि शुरू हो जाएगी, जो शनिवार सुबह 10:57 बजे समाप्त होगी और फिर दशमी तिथि का आरंभ होगा।
इस साल अष्टमी और नवमी की पूजा एक ही दिन में हो रही है, जिसके कारण व्रत का पारण (समापन) भी शुक्रवार को ही किया जाएगा। इस विशेष संयोग के चलते भक्तों के बीच खास उत्साह देखा जा रहा है।
रीतियों से हुई मां महागौरी और मां सिद्धिदात्री की पूजा
रुड़की में अष्टमी और नवमी के पावन अवसर पर मां दुर्गा के महागौरी और सिद्धिदात्री रूपों की पूजा विधिपूर्वक हो रही है। भक्त बड़ी संख्या में मंदिरों में दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। सुबह से ही शहर के प्रसिद्ध दुर्गा चौक मंदिर में मां के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है।
मंदिर में भक्तों की भारी संख्या के कारण उन्हें दर्शन के लिए अपनी बारी का इंतजार करना पड़ रहा है। इसके अलावा, श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर, रामनगर के राम मंदिर, और सुभाष नगर के संतोषी माता मंदिर जैसे अन्य मंदिरों में भी भक्त मां दुर्गा की पूजा के लिए पहुंच रहे हैं।
घर-घर में हो रहा कन्या पूजन
अष्टमी और नवमी के अवसर पर देवभूमि के हर घर में कन्या पूजन की विशेष परंपरा निभाई जा रही है। कन्याओं को देवी का रूप मानकर उनके पैर धोए जा रहे हैं और उन्हें हलवा, पूरी, चने का प्रसाद और फल भेंट किए जा रहे हैं। कन्याओं को उपहार भी दिए जा रहे हैं, जिसमें कपड़े, खिलौने और अन्य आवश्यक वस्तुएं शामिल हैं।
कन्या पूजन के इस महत्वपूर्ण पर्व पर लोग अपने घरों में पूजा-पाठ कर रहे हैं और अपने परिवार के कल्याण और समृद्धि की कामना कर रहे हैं। इस पर्व का खास महत्व इसलिए भी है क्योंकि इसे महिलाओं और कन्याओं के सम्मान का प्रतीक माना जाता है।
त्योहार में धार्मिक सहिष्णुता और सांस्कृतिक एकता का संदेश
नवरात्रि न केवल धार्मिक आस्था का पर्व है, बल्कि यह समाज में सांस्कृतिक एकता और धार्मिक सहिष्णुता का संदेश भी देता है। इस पर्व पर हर समुदाय के लोग एक साथ मिलकर देवी की आराधना करते हैं और अपने समाज की एकता को मजबूत बनाते हैं।
देवी के नौ रूपों की पूजा के साथ, यह पर्व महिलाओं के सम्मान और शक्ति का प्रतीक भी माना जाता है। इसके अलावा, नवरात्रि के अंतिम दिनों में कन्या पूजन का आयोजन इस बात का प्रतीक है कि समाज में महिलाओं का स्थान कितना महत्वपूर्ण है और उन्हें देवी का स्वरूप मानकर पूजा जाता है।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन
नवरात्रि के दौरान विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन होता है। लोग पंडालों में जाकर देवी दुर्गा की आराधना करते हैं और साथ ही साथ विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेते हैं। इस बार पंडालों की संख्या भले ही कम हो, लेकिन लोगों का उत्साह कम नहीं हुआ है।
देहरादून, रुड़की और अन्य शहरों में पंडालों में मां दुर्गा की मूर्तियों की स्थापना के साथ-साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जा रहा है। नवरात्रि के दौरान नृत्य, संगीत और अन्य सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से लोग अपनी परंपराओं को जीवंत रखते हैं।