Child marriage: एक गंभीर सामाजिक समस्या, बच्चों के भविष्य के लिए खतरा

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Child marriage एक गंभीर सामाजिक समस्या है जो बच्चों के जीवन को प्रभावित करने के साथ-साथ उनके भविष्य को भी अंधकार में डाल देती है। यह न केवल एक कानूनी मुद्दा है, बल्कि यह बच्चों के मानसिक, शारीरिक और सामाजिक विकास पर भी गहरा असर डालता है। भारत में बाल विवाह को समाप्त करने के लिए सरकार और कई संगठनों द्वारा निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। हाल ही में, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) द्वारा जारी रिपोर्ट ने इस समस्या की गंभीरता को एक बार फिर उजागर किया है। आयोग ने बताया कि देश के 14 राज्यों में बाल विवाह के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है और 11.4 लाख से अधिक बच्चे इस समस्या के खतरे में हैं।

बाल विवाह की स्थिति

NCPCR के अनुसार, देश में बाल विवाह के खतरे में पड़े बच्चों की संख्या चिंताजनक है। आयोग ने 2023-24 में इन बच्चों की मदद के लिए कई कदम उठाए हैं, जिनमें परिवारों से बातचीत करना, बच्चों को स्कूल लौटने में मदद करना और पुलिस के साथ मिलकर उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना शामिल है।

जिला स्तर पर रणनीति

NCPCR के अध्यक्ष प्रियंक काणुंगो ने सभी राज्यों और संघ शासित क्षेत्रों के मुख्य सचिवों को एक पत्र लिखकर इस मुद्दे को प्राथमिकता देने की अपील की है। उन्होंने बाल विवाह उन्मूलन के लिए जिला स्तर पर रणनीतियों को लागू करने की आवश्यकता पर बल दिया है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि सभी अधिकारी इस दिशा में सक्रिय रहें, उन्हें योजना बनाने और कार्यान्वयन में पूरी मदद देने की आवश्यकता है।

उत्तर प्रदेश में बच्चों का विरोध

उत्तर प्रदेश में बाल विवाह के खिलाफ पांच लाख बच्चों ने सड़कों पर उतरकर अपना विरोध जताया। यह विरोध न केवल उनकी आवाज उठाने का एक माध्यम था, बल्कि यह बाल विवाह के प्रति जागरूकता फैलाने का एक प्रयास भी था। आयोग ने बताया कि उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश ने बाल विवाह के खिलाफ लड़ाई में अच्छा काम किया है।

सामुदायिक प्रयास

मध्य प्रदेश और ओडिशा जैसे राज्यों ने भी बाल विवाह के खिलाफ सामुदायिक जागरूकता बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं। कर्नाटका और असम में धार्मिक नेताओं और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने स्थानीय लोगों के साथ मिलकर 40,000 से अधिक बैठकें आयोजित की हैं ताकि लोगों को इस गंभीर समस्या के बारे में जागरूक किया जा सके। ये बैठकें न केवल सूचना प्रदान करती हैं बल्कि लोगों को एकजुट करने का भी काम करती हैं।

बाल विवाह के राष्ट्रीय स्तर पर आंकड़े

1993 में बाल विवाह का शिकार होने वाली लड़कियों की संख्या 49 प्रतिशत थी। 28 वर्षों बाद, 2021 में यह संख्या घटकर 22 प्रतिशत हो गई है। इसी तरह, लड़कों का बाल विवाह भी राष्ट्रीय स्तर पर काफी कम हुआ है। 2006 में 7 प्रतिशत बच्चे शादी कर रहे थे, जो 2021 में घटकर 2 प्रतिशत रह गया।

चिंताजनक तथ्य

हालांकि, शोध दल ने चिंता व्यक्त की है कि 2016 से 2021 के बीच बाल विवाह समाप्त करने में प्रगति रुक गई है। 2006 से 2016 के बीच बाल विवाह में सबसे अधिक गिरावट देखी गई थी। यदि इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो भविष्य में स्थिति और गंभीर हो सकती है। यह एक गंभीर चिंता का विषय है और इसे जल्द से जल्द संबोधित करने की आवश्यकता है।

बाल विवाह के दुष्परिणाम

बाल विवाह के दुष्परिणाम बेहद गंभीर होते हैं। यह केवल एक कानूनी समस्या नहीं है, बल्कि यह बच्चों के मानसिक, शारीरिक और सामाजिक विकास पर गहरा असर डालती है। बाल विवाह के कारण बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाते हैं और उन्हें बहुत ही कम उम्र में जिम्मेदारियों का सामना करना पड़ता है, जो उनके स्वास्थ्य और भविष्य को खतरे में डाल देता है।

बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन

बाल विवाह एक ऐसा मुद्दा है जो बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन करता है। यह बच्चों को उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास के अवसरों से वंचित कर देता है। इसके अलावा, बाल विवाह के परिणामस्वरूप बच्चों को शारीरिक और मानसिक हिंसा का सामना करना पड़ सकता है, जो कि पूरी तरह से अस्वीकार्य है।

समाधान के उपाय

इस समस्या के समाधान के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं। सबसे पहले, लोगों में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है। समाज के सभी वर्गों को यह समझाना होगा कि बाल विवाह न केवल बच्चों के लिए हानिकारक है, बल्कि यह समाज के लिए भी एक बड़ी समस्या है।

शिक्षा पर ध्यान

शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करना एक महत्वपूर्ण कदम है। बच्चों को स्कूल भेजना और उन्हें शिक्षा के महत्व के बारे में बताना आवश्यक है। यह सुनिश्चित करना होगा कि बच्चे शिक्षा ग्रहण करें और अपने भविष्य को सुरक्षित करें। शिक्षा न केवल बच्चों के लिए बल्कि समग्र समाज के लिए भी एक आवश्यक तत्व है।

कानून का प्रभावी कार्यान्वयन

बाल विवाह के खिलाफ कानूनों का प्रभावी कार्यान्वयन भी आवश्यक है। सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बाल विवाह के मामलों में सख्त कार्रवाई की जाए और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी सजा दी जाए। इसके साथ ही, कानूनी जागरूकता बढ़ाने के लिए भी कार्यक्रम चलाए जाने चाहिए ताकि लोग अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हों।

सामुदायिक भागीदारी

सामुदायिक भागीदारी को भी बढ़ावा देना चाहिए। स्थानीय समुदायों, धार्मिक नेताओं, और सामाजिक कार्यकर्ताओं को इस मुद्दे पर सक्रिय रूप से काम करना चाहिए ताकि बाल विवाह के खिलाफ एक मजबूत जागरूकता अभियान चलाया जा सके। समाज के सभी हिस्सों को इस लड़ाई में शामिल होना चाहिए, ताकि एक सशक्त आवाज उठाई जा सके।

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