Crime: 12.62 करोड़ रुपये के धोखाधड़ी का मामला, मुख्य साजिशकर्ता और बैंक प्रबंधक गिरफ्तार
Crime: हाल ही में इंडसइंड बैंक आवास विकास में 12.62 करोड़ रुपये के धोखाधड़ी मामले में एक महत्वपूर्ण गिरफ्तारी हुई है। पुलिस ने मुख्य साजिशकर्ता और बैंक प्रबंधक को गिरफ्तार किया है, जिसके बाद इस मामले में कई और राज खुलने की संभावना है। इस लेख में, हम इस धोखाधड़ी की पूरी घटना की जानकारी और उससे जुड़े विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालेंगे।
धोखाधड़ी की जानकारी
यह धोखाधड़ी इंडसइंड बैंक की आवास विकास शाखा में तब सामने आई जब 28 और 31 अगस्त को तीन फर्जी चेक के माध्यम से 12.62 करोड़ रुपये निकाल लिए गए। यह राशि भूमि अधिग्रहण के लिए सक्षम प्राधिकरण के संयुक्त खाते से निकाली गई थी। किच्छा के एसडीएम कौस्तुभ मिश्रा की शिकायत पर, 2 सितंबर को ट्रांजिट कैंप पुलिस स्टेशन में बैंक प्रबंधक और कैशियर के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। मामले की जांच के दौरान दोनों को जेल भेज दिया गया।
मुख्य आरोपियों की पहचान
पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज के आधार पर मुख्य आरोपियों की पहचान की। इनमें ललित कुमार महेंद्रू उर्फ लाली, अध्यक्ष उर्फ राजकुमार और लाली की बहन मीनू बथला शामिल हैं। पुलिस ने इन तीनों के ठिकानों पर छापे मारे और 50 से अधिक लोगों से पूछताछ की। पुलिस ने हरियाणा और पंजाब में इन आरोपियों के ठिकानों पर भी छापे मारे।
इसके साथ ही, उन्हें विदेश भागने से रोकने के लिए एक लुक आउट सर्कुलर (एओसी) जारी किया गया। पुलिस ने तीनों आरोपियों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट भी प्राप्त किए। जांच में पता चला कि इन तीनों ने संगठित तरीके से साजिश की और बैंक प्रबंधक और कैशियर की मिलीभगत से यह धोखाधड़ी की।
ललित कुमार महेंद्रू की गिरफ्तारी
1 अक्टूबर को पुलिस ने मुख्य आरोपी ललित कुमार महेंद्रू को पंजाब के पुलिस जिरतपुर से गिरफ्तार किया और उसे जिला न्यायालय में पेश किया। अदालत ने उसे जेल भेज दिया। मंगलवार को पुलिस ने ललित कुमार महेंद्रू और शाखा प्रबंधक देवेंद्र सिंह के लिए 4 दिन की पुलिस रिमांड की अनुमति अदालत से प्राप्त की।
धोखाधड़ी का तरीका
ललित महेंद्रू ने एक बैंक में अपने गहनों को गिरवी रखकर 25 लाख रुपये का लोन लिया। इस पैसे का उपयोग उसने इंडसइंड बैंक से निकाली गई राशि की वसूली के लिए किया। ललित ने बैंक प्रबंधक देवेंद्र के साथ दोस्ती की और फिर नेशनल हाईवे-74 की मुआवजे की राशि धोखाधड़ी से निकालने की योजना बनाई।
इस योजना में, ललित ने बैंक में खाते खोले और फर्जी चेक बनाने की जिम्मेदारी राज शर्मा को सौंपी। राज शर्मा, जो फर्जी चेक बनाने में माहिर था, ने यह काम किया।
राशि का ट्रांसफर और विभाजन
धोखाधड़ी की गई राशि को चंडीगढ़, मुंबई और जयपुर में तीन अलग-अलग खातों में स्थानांतरित किया गया। इन तीन मुख्य खातों से, इस राशि को सात बार 68 अलग-अलग खातों में विभिन्न राज्यों और बैंकों में भेजा गया। अंततः, यह राशि अदालत के माध्यम से संयुक्त खाते में वापस लाई गई।
महेंद्रू का आपराधिक इतिहास
ललित कुमार महेंद्रू के आपराधिक इतिहास की जांच करते हुए, यह पाया गया कि वह गुजरात में भी इसी प्रकार के धोखाधड़ी के आरोपों में शामिल रहा है। इस मामले की जांच के लिए जिला पुलिस ने गुजरात के विभिन्न शहरों में भी पूछताछ की।
पुलिस ने उन आरोपियों के खिलाफ भी कार्रवाई की, जिन्होंने अपने खातों में लगभग 2.5 करोड़ रुपये प्राप्त किए। इनमें विनोद शर्मा (सीकर) और प्रवीण शर्मा (कल्याणनगर, जयपुर) शामिल हैं।
मुंबई में छापेमारी
पुलिस टीम ने मुंबई में भी मुख्य खाता धारकों के कार्यालयों और ठिकानों पर छापे मारे। यह छापेमारी 10 दिनों तक चली, जिसमें जिवराज माली (विशाल, सिरोही, राजस्थान) और भारत कुमार मिश्रा (झुंझुनू, राजस्थान) को गिरफ्तार किया गया, जो मुख्य खाता धारक के लिए काम कर रहे थे।
पुलिस का बयान
उधम सिंह नगर के एएएसपी मणिकांत मिश्रा ने कहा कि मुख्य साजिशकर्ता महेंद्रू ने 25 लाख रुपये का लोन लिया था और गिरवी रखे गए गहनों के बदले प्राप्त राशि के साथ धोखाधड़ी की। आज, महेंद्रू और देवेंद्र को 4 दिन की पुलिस रिमांड के लिए अदालत में एक पत्र सौंपा जाएगा।