PM Modi की अध्यक्षता में ‘विकास भी विरासत भी’ योजना को मंजूरी, समुद्री धरोहर का पुनर्निर्माण

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PM Modi: हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘विकास भी विरासत भी’ योजना को मंजूरी दी है। इस योजना का उद्देश्य भारत की नौसैनिक क्षमताओं के सुनहरे और जीवंत इतिहास को दुनिया के सामने लाना है। इस योजना के अंतर्गत, गुजरात के लोधाल में एक राष्ट्रीय समुद्री धरोहर परिसर का निर्माण किया जाएगा, जो देश के समुद्री इतिहास को पुनर्जीवित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इस परियोजना के अगले दो वर्षों में पूरा होने की उम्मीद है।

समुद्री धरोहर का महत्व

भारत की समुद्री धरोहर बेहद समृद्ध है और इसका सबसे पुराना प्रमाण लगभग 4,500 साल पुराना है। चोल और पांड्य राजवंशों के पास विशाल नौसेना और व्यापारी बेड़े थे। ओडिशा के व्यापारी जहाज श्रीलंका, बाली, जावा और गोवा तक यात्रा करते थे। लोधाल, गुजरात, पारंपरिक हड़प्पा सभ्यता का एक प्रमुख शहर था, जिसका इतिहास 2400 ईसा पूर्व तक जाता है। यहाँ जहाज निर्माण और व्यापारी बेड़े की प्रसिद्धि थी।

भारत की समुद्री धरोहर का यह समृद्ध इतिहास हमें यह समझाता है कि हम किस प्रकार एक महान समुद्री शक्ति रहे हैं और हमारे पूर्वजों ने समुद्र में किस तरह से व्यापार किया। यह धरोहर न केवल हमारे अतीत का प्रतीक है, बल्कि यह आज की पीढ़ी के लिए प्रेरणा भी प्रदान करती है।

योजना की मुख्य विशेषताएँ

इस विकास और धरोहर योजना के अंतर्गत केंद्रीय मंत्रिमंडल ने समुद्र में परिवहन की धरोहर को प्रस्तुत करने के लिए एक विस्तृत योजना को मंजूरी दी है। राष्ट्रीय समुद्री धरोहर परिसर में एक प्रकाश स्तंभ और संग्रहालय होगा, जहां लोग भारत की जहाज निर्माण की धरोहर देख सकेंगे और जान सकेंगे कि लोधाल में नेविगेशन कैसे किया जाता था।

यह परियोजना दुनिया का सबसे बड़ा समुद्री धरोहर परिसर होगा, जो न केवल भारत की समुद्री धरोहर को प्रदर्शित करेगा, बल्कि अन्य राज्यों को भी अपनी maritime धरोहर को विकसित करने के लिए प्रेरित करेगा।

इस संग्रहालय में कई प्रदर्शनी, शैक्षिक कार्यक्रम और इंटरएक्टिव गतिविधियाँ आयोजित की जाएँगी, जो लोगों को हमारी समुद्री इतिहास और संस्कृति से जोड़ने का कार्य करेंगी। इससे न केवल पर्यटकों को आकर्षित किया जाएगा, बल्कि यह हमारे युवाओं को समुद्री विज्ञान और इतिहास के प्रति जागरूक करने में भी मदद करेगा।

सीमा क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का विकास

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने यह भी निर्णय लिया है कि सीमा गांवों को ‘पहला गांव’ का दर्जा दिया जाएगा। इसके अंतर्गत राजस्थान और पंजाब के सीमा क्षेत्रों में 2280 किलोमीटर लंबा सड़क नेटवर्क बनाया जाएगा, जिसमें केंद्र सरकार 4406 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। इस सड़क नेटवर्क का उद्देश्य सीमा क्षेत्रों को मुख्य सड़क से जोड़ना है।

केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीमा क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर दिया है। यह विकास न केवल सीमा सुरक्षा को मजबूत करेगा, बल्कि स्थानीय निवासियों के जीवन स्तर को भी बेहतर बनाएगा।

ग्रामीण आजीविका में सुधार

राज्य के दूरदराज के गांवों में सड़क, दूरसंचार कनेक्टिविटी, जल आपूर्ति, स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए व्यापक प्रबंध किए जाएंगे। यह ग्रामीण आजीविका को बढ़ावा देगा और यात्रा को आसान बनाएगा। यह सुनिश्चित करेगा कि इन गांवों को अन्य राजमार्ग नेटवर्क के साथ जोड़ा जाए।

बुनियादी ढांचे के विकास से न केवल गांवों का सामाजिक और आर्थिक विकास होगा, बल्कि यह स्थानीय निवासियों के लिए रोजगार के नए अवसर भी खोलेगा।

प्रधानमंत्री का नेतृत्व

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में हरियाणा में भाजपा की ऐतिहासिक जीत के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक की। इस दौरान उन्होंने अपने सहयोगियों को अच्छे शासन और जन सेवा का संदेश दिया। सूत्रों के अनुसार, भविष्य की योजनाओं पर चर्चा की गई, जिसमें विकसित भारत के लक्ष्य को पूरा करने के लिए सुधारों पर ध्यान केंद्रित किया गया।

प्रधानमंत्री ने सभी मंत्रियों को यह बताया कि राजनीति एक ऐसा माध्यम है, जिसका उद्देश्य देश की सेवा करना है, न कि केवल सत्ता में बने रहना। उन्होंने सभी को विनम्र रहने की सलाह दी।

प्रधानमंत्री ने हरियाणा में भाजपा की अभूतपूर्व जीत और जम्मू-कश्मीर में उसके सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन का उदाहरण देते हुए कहा कि अच्छे शासन, समावेशी विकास और लोगों की सेवा उनका आदर्श होना चाहिए। उन्होंने मंत्रियों से कहा कि उन्हें आम लोगों की समस्याओं को हल करने और उनके जीवन को आसान बनाने के लिए समर्पित रहना चाहिए।

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