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Dehradun Durga Puja: देवभूमि में आज से शुरू हो रहा दुर्गा पूजा महोत्सव, पंडालों में इको-फ्रेंडली मूर्तियों की सजावट शुरू

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Dehradun Durga Puja: देवभूमि उत्तराखंड में आज से दुर्गा पूजा महोत्सव की शुरुआत हो रही है। यह महोत्सव विभिन्न क्षेत्रों में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाएगा। दुर्गा पूजा का यह पर्व सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का प्रतीक भी है। इस बार के पर्व में विशेष बात यह है कि कालीकट के शिल्पकारों द्वारा तैयार की गई इको-फ्रेंडली मूर्तियाँ पंडालों में स्थापित की जाएंगी।

दुर्गा पूजा का महत्व

दुर्गा पूजा एक ऐसा पर्व है जो मां दुर्गा की आराधना के साथ शुरू होता है। इस दौरान मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। इस महोत्सव का सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। मां दुर्गा की पूजा से न केवल आध्यात्मिक शक्ति मिलती है, बल्कि यह समाज में एकता और भाईचारे की भावना को भी बढ़ावा देती है।

Dehradun Durga Puja: देवभूमि में आज से शुरू हो रहा दुर्गा पूजा महोत्सव, पंडालों में इको-फ्रेंडली मूर्तियों की सजावट शुरू

देवभूमि में दुर्गा पूजा की तैयारी

देहरादून में बंगाली समुदाय के बीच दुर्गा पूजा को लेकर जबरदस्त उत्साह है। पिछले कई दिनों से चल रही तैयारियाँ अब अपने अंतिम चरण में पहुँच गई हैं। इस बार मां दुर्गा की मूर्तियों का निर्माण पूरी तरह से इको-फ्रेंडली सामग्री से किया गया है। कालीकट से आए शिल्पकारों ने मिट्टी, बांस और भूसे का उपयोग करके सुंदर मूर्तियाँ तैयार की हैं।

दुर्गा पूजा के पहले दिन, यानी 9 अक्टूबर को, मां दुर्गा की मूर्तियों की स्थापना की जाएगी। इस बार, मां दुर्गा के साथ भगवान गणेश, लक्ष्मी, कार्तिकेय और सरस्वती की भी मूर्तियाँ स्थापित की जाएंगी। यह मूर्तियाँ न केवल देखने में सुंदर हैं, बल्कि पर्यावरण के प्रति भी सजगता को दर्शाती हैं।

दुर्गा महोत्सव का कार्यक्रम

दुर्गा महोत्सव का कार्यक्रम हर दिन पूजा और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ मनाया जाएगा। इस बार की विशेषता यह है कि मूर्तियों का विसर्जन 12 और 13 अक्टूबर को सिंदूर खेला के साथ किया जाएगा। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में लोक नृत्य, संगीत और नाटक का आयोजन किया जाएगा, जिससे यह महोत्सव और भी जीवंत हो उठेगा।

मुख्य आयोजन स्थल

दुर्गा पूजा महोत्सव के लिए देहरादून में विभिन्न स्थानों पर पंडाल सजाए गए हैं। इन पंडालों में शामिल हैं:

  1. दुर्गाबाड़ी मंदिर, बिंदल – यहाँ दुर्गाबाड़ी का 69वाँ महोत्सव मनाया जाएगा।
  2. कर्णपुर स्थित बंगाली पुस्तकालय – यहाँ 102वाँ दुर्गा महोत्सव आयोजित किया जाएगा।
  3. रायपुर दुर्गा पूजा समिति – यहाँ 81वाँ महोत्सव बंगभारती क्लब परिसर में मनाया जाएगा।
  4. मॉडल कॉलोनी में उत्तरायण कालीबाड़ी पूजा समिति – यहाँ 44वाँ महोत्सव आयोजित किया जाएगा।
  5. श्री गुरु नानक पब्लिक गर्ल्स इंटर कॉलेज के मैदान में – नेताजी सुभाष चंद्र बोस सेवा समिति द्वारा दुर्गा पूजा महोत्सव का आयोजन किया जाएगा।

महिलाओं की भागीदारी

महिलाओं की भागीदारी इस महोत्सव में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। झाझरा स्थित जलवायु दुर्गा पूजा समिति की महिलाओं ने दुर्गा महोत्सव की पूर्व संध्या पर प्रार्थना अर्पित की। इसके साथ ही, सांस्कृतिक कार्यक्रमों में उनकी सक्रिय भागीदारी ने समारोह की गरिमा को बढ़ाया है।

पर्यावरण के प्रति जागरूकता

इस बार की दुर्गा पूजा में पर्यावरण के प्रति जागरूकता भी देखने को मिल रही है। इको-फ्रेंडली मूर्तियों के निर्माण के साथ-साथ पंडालों में प्लास्टिक का उपयोग न्यूनतम किया गया है। आयोजक समितियाँ इस बात का विशेष ध्यान रख रही हैं कि समारोह के दौरान पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे।

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