Crime: यूपी फर्जी ईडी गैंग के दो बदमाश मुठभेड़ में गिरफ्तार, पैर में लगी गोली; एक बदमाश ने किया आत्मसमर्पण
Crime: उत्तर प्रदेश में फर्जी ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) गैंग के दो सदस्यों को पुलिस ने मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार कर लिया है। मुठभेड़ के दौरान दोनों बदमाशों के पैर में गोली लगी है। पुलिस के अनुसार, ये दोनों बदमाश मेरठ और फरीदाबाद के रहने वाले हैं और जेल में बंद अपने साथियों से मिलने आए थे।
वहीं, पंजाब का एक और बदमाश, जो मुठभेड़ से घबरा गया था, उसने गुरुवार दोपहर अपनी कार के साथ पुलिस थाने में आत्मसमर्पण कर दिया। इस मामले में पुलिस ने अब तक 13 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिसमें इस गैंग का मुख्य सरगना भी शामिल है। वहीं, दिल्ली के एक गैंगस्टर समेत चार अन्य बदमाश अब भी फरार हैं।
घटना का विवरण
फर्जी ईडी टीम ने 30 अगस्त की सुबह 10 बजे गोविंद नगर के राधा ऑर्चिड कॉलोनी निवासी अश्वनी कुमार अग्रवाल के घर में घुसने की कोशिश की थी। इस घटना में पुलिस ने दिल्ली की एक महिला प्रोफेसर और इस गैंग के मुख्य सरगना सहित 10 सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया था। एसपी सिटी डॉ. अरविंद कुमार के अनुसार, गुरुवार की सुबह 3 बजे गोविंद नगर पुलिस को सूचना मिली थी कि राधापुरम कॉलोनी के पास फर्जी ईडी गैंग के कुछ बदमाश मौजूद हैं। इस जानकारी के आधार पर पुलिस ने एक मुठभेड़ की, जिसमें दो बदमाशों, सागर वर्मा उर्फ हनी और तरुण पाल उर्फ चिंटू को गिरफ्तार कर लिया गया।
गिरफ्तार बदमाशों का परिचय
सागर वर्मा उर्फ हनी फरीदाबाद के थाना डबुआ के सेक्टर-49 एच ब्लॉक में ग्राउंड फ्लोर का निवासी है, जबकि तरुण पाल उर्फ चिंटू मेरठ के थाना ट्रांसपोर्ट नगर के अंतर्गत आने वाले मुल्तान नगर बागपत रोड का निवासी है। दोनों बदमाश मुठभेड़ में घायल हो गए थे, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। दोनों के पैर में गोली लगी है, जिससे वे चलने-फिरने में असमर्थ हो गए।
मुठभेड़ के बाद आत्मसमर्पण
गुरुवार दोपहर 3 बजे, मंजीत सिंह नामक एक अन्य बदमाश, जो पंजाब के होशियारपुर सदर थाना क्षेत्र के नारा गांव का निवासी है, मुठभेड़ से घबराकर पुलिस थाने में आत्मसमर्पण करने पहुंचा। मंजीत सिंह उसी कार के साथ आया था जिसमें फर्जी ईडी टीम घटना स्थल पर पहुंची थी। मंजीत सिंह ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर अपनी जान बचाई, जबकि इस मामले में शामिल चार अन्य बदमाश अभी भी फरार हैं। इन फरार बदमाशों में दिल्ली के कुख्यात अपराधी अमित गोगा का भी नाम शामिल है, जो पहले से ही कई आपराधिक मामलों में वांछित है।
फर्जी ईडी टीम का मकसद और अपराध योजना
जांच में सामने आया है कि सागर वर्मा इस फर्जी ईडी गैंग का नेतृत्व कर रहा था। वह खुद को ईडी का असिस्टेंट डायरेक्टर बताकर लोगों को धोखा दे रहा था। उसने अपने साथियों के साथ मिलकर अश्वनी कुमार अग्रवाल के घर पर छापा मारने का प्रयास किया था, जिसके लिए उसने एक फर्जी सर्च वारंट का सहारा लिया। सागर और उसके साथी कोर्ट में आत्मसमर्पण की योजना बना रहे थे, लेकिन पुलिस के डर से उन्होंने पहले जेल में बंद अपने साथियों से मिलने की कोशिश की।
तरुण पाल, जो मेरठ का निवासी है, सागर वर्मा के साथ इस योजना में शामिल था। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, तरुण के खिलाफ दिल्ली, मेरठ और मथुरा के क्राइम ब्रांच में चार आपराधिक मामले दर्ज हैं। वह अपराध की दुनिया में पहले से सक्रिय है और कई गंभीर अपराधों में संलिप्त रहा है।
पुलिस की कार्रवाई और भविष्य की चुनौतियाँ
इस मामले में पुलिस ने त्वरित और सटीक कार्रवाई की है, जिसके परिणामस्वरूप दो बदमाशों को मुठभेड़ के दौरान गिरफ्तार कर लिया गया और एक अन्य ने आत्मसमर्पण कर दिया। लेकिन इस घटना ने यह भी उजागर किया है कि अपराधी अब नए और चौंकाने वाले तरीकों का सहारा ले रहे हैं। सरकारी एजेंसियों और अधिकारियों के नाम का दुरुपयोग कर अपराध करने की यह घटना न केवल कानून व्यवस्था के लिए चुनौती है, बल्कि जनता की सुरक्षा के लिए भी एक बड़ा खतरा है।
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने अब तक 13 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिसमें इस गैंग का मुख्य सरगना भी शामिल है। हालांकि, चार अन्य बदमाश अभी भी फरार हैं और उनकी तलाश जारी है। पुलिस इन बदमाशों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने के लिए लगातार छापेमारी कर रही है।
फर्जी ईडी टीम द्वारा लोगों को लूटने की योजना
फर्जी ईडी गैंग के सदस्य खुद को प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी बताकर बड़े व्यापारियों और अमीर व्यक्तियों को निशाना बना रहे थे। इस गैंग का मकसद था कि वे इन लोगों के घरों में घुसकर छापेमारी के बहाने लूटपाट कर सकें। इस घटना ने लोगों के मन में सरकारी अधिकारियों के प्रति भी संदेह पैदा किया है, क्योंकि अपराधी सरकारी एजेंसियों के नाम का दुरुपयोग कर रहे हैं।
पुलिस की अपील
पुलिस ने जनता से अपील की है कि वे किसी भी संदिग्ध व्यक्ति या गतिविधि के बारे में तुरंत पुलिस को सूचित करें। इसके अलावा, अगर कोई व्यक्ति खुद को सरकारी अधिकारी बताकर आपसे पूछताछ या तलाशी लेने का प्रयास करता है, तो पहले उसकी पहचान की पुष्टि करें और बिना किसी डर के पुलिस को सूचित करें।