Uttarakhand News: उत्तराखंड के भिलंगना विकासखंड के हिंदव पट्टी में एक भयावह घटना सामने आई है, जहां एक लेपर्ड ने घर के आंगन में खेल रहे एक तीन वर्षीय बच्चे को उठा लिया। घटना की जानकारी मिलने के बाद ग्रामीणों ने बच्चे की खोजबीन की, लेकिन उनका अधमरा शव घर से लगभग 50 मीटर दूर पाया गया। यह घटना गांव के लिए एक बड़े संकट का कारण बन गई है, जहां पिछले तीन महीनों में दो बच्चों की लेपर्ड के हमले में मौत हो चुकी है।
घटना का विवरण
प्रवाल गांव की रहने वाली अमरू लाल की बेटी मंजी, जो हाल ही में अपने बेटे राज के साथ अपने मायके आई थी, रविवार की शाम लगभग छह बजे राज अन्य बच्चों के साथ आंगन में खेल रहा था। अचानक, एक लेपर्ड ने उस पर हमला कर दिया। परिवार के अन्य सदस्य बच्चों की चीख-पुकार सुनकर बाहर निकले, लेकिन तब तक लेपर्ड बच्चे को उठा ले गया था।
शव की खोज
जब गांव के लोग लेपर्ड की खोज में निकले, तो उन्होंने बच्चे का अधमरा शव कुछ दूर स्थित एक स्थान पर पाया। शव को देखकर लोगों के मन में भय और आक्रोश व्याप्त हो गया। इससे पहले 22 जुलाई को भी एक लेपर्ड ने भौर गांव में एक नौ साल की बच्ची को अपना शिकार बना लिया था। इस घटना के बाद, वन विभाग ने गांव में शिकारी दल को तैनात किया था, लेकिन वे उस लेपर्ड को मारने में असफल रहे। इसके चलते, वन विभाग की कार्यशैली में लापरवाही का आरोप लगा है।
गांव वालों का गुस्सा
इस घटना के बाद गांव के लोग अत्यंत दुखी और गुस्से में हैं। उन्होंने वन विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाया है। ग्रामीणों विक्रम घनटा, प्रेम अंथवाल और महावीर भट्ट ने कहा कि अगर वन विभाग ने पहले ही उस मानव-भक्षी लेपर्ड को मार दिया होता, तो यह घटना कभी नहीं होती। गांव वालों का कहना है कि उनकी सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं की गई है, जिसके कारण वे अब बहुत डरे हुए हैं।
वन विभाग की प्रतिक्रिया
इस मामले में रेंज अधिकारी आशीष नौटियाल ने कहा कि कर्मचारियों को गांव के चारों ओर तैनात किया गया है और एक बार फिर शिकारी दल को तैनात किया जा रहा है। हालांकि, ग्रामीणों का मानना है कि इस प्रकार के उपाय केवल अस्थायी समाधान हैं और जब तक समस्या का स्थायी समाधान नहीं किया जाता, तब तक उनका डर खत्म नहीं होगा।
बढ़ती लेपर्ड गतिविधि
वर्तमान में, इस क्षेत्र में लेपर्ड की गतिविधियों में वृद्धि देखी जा रही है। पिछले वर्ष के दौरान जिले में 11 लेपर्ड हमले की घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें तीन लोगों की जान गई है। ऐसे में, गांव के लोग इस बात को लेकर चिंतित हैं कि क्या यह लेपर्ड फिर से हमला करेगा।
बच्चों की सुरक्षा की चिंता
लेपर्ड के हमले से न केवल बच्चों की सुरक्षा पर खतरा मंडरा रहा है, बल्कि पूरे गांव में भय का माहौल भी है। बच्चों को बाहर खेलने के लिए भेजना अब माता-पिता के लिए एक बड़ी चिंता बन गया है। अगर ऐसा ही रहा, तो लोग अपने बच्चों को स्कूल भेजने में भी हिचकिचाएंगे।
वन विभाग की जिम्मेदारी
इस प्रकार की घटनाएं दर्शाती हैं कि वन विभाग को अपनी जिम्मेदारियों को समझना होगा। यदि वे समय पर उचित कार्रवाई नहीं करेंगे, तो इस प्रकार की और भी घटनाएं हो सकती हैं। वन विभाग को न केवल हमलावर जानवरों का शिकार करना चाहिए, बल्कि साथ ही गांववालों की सुरक्षा के लिए उचित कदम भी उठाने चाहिए।