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Dehradun: 5 करोड़ की साइबर निवेश धोखाधड़ी का भंडाफोड़, साईबर धोखाधडी का सरगना गिरफ्तार

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देहरादून। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसटीएफ नवनीत सिंह द्वारा जानकारी देते हुये बताया कि एक मामला नैनीताल निवासी पीड़ित द्वारा माह अगस्त 2024 में दर्ज कराया जिसमें उनके द्वारा माह जुलाई 2024 में उनको एक अज्ञात वाट्सअप ग्रुप बारक्लेस सिल से जुडना बताया गया, चैंटिग करने के उपरांत शिकायतकर्ता को ऑनलाईन ट्रेडिंग हेतु उक्त ग्रुप में गाईडेन्स किया जाना बताया उक्त ग्रुप में पूर्व से जुडे लोगों द्वारा उसमें अपने प्रॉफिट की धनराशि के स्क्रीनशॉट शेयर किया जाना बताया जिसमें ऑनलाईन स्टाक मार्केट शेयर खरीदे व बेचे जाना बताया गया। शिकायतकर्ता द्वारा ऑनलाईन ट्रेडिंग करने के लिये अभियुक्तगणों द्वारा व्हाटसप के माध्यम से उपलब्ध कराये गये विभिन्न बैंक खातो में लगभग 64.59 लाख रुपये की धनराशी धोखाधड़ी से जमा करायी गयीl साईबर अपराधियों द्वारा शिकायतकर्ता को ऑनलाईन शेयर मार्केटिंग में अधिक मुनाफे का लालच दिया गया तथा इसमे निवेश करने पर वादी को शार्ट टर्म में अधिक मुनाफे का भरोसा देकर ठगी की गयी ।

मामले को गंभीरता से लेते हुए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एसटीएफ द्वारा विवेचना प्रभारी निरीक्षक साईबर क्राईम, अरूण कुमार को सुपुर्द करते हुये मामले के खुलासे हेतु आवश्यक दिशा निर्देश दिये गयेl साईबर क्राईम पुलिस द्वारा घटना में प्रयुक्त बैंक खातों/ रजिस्टर्ड मोबाइल नम्बरों / वाट्सअप की जानकारी हेतु सम्बन्धित बैंकों, सर्विस प्रदाता कम्पनी, मेटा कम्पनियों से डेटा प्राप्त किया गया। प्राप्त डेटा के विश्लेषण से जानकारी मे आया कि साईबर अपराधियो द्वारा घटना में पीड़ित से शेयर में मुनाफा व आईपीओ के नाम पर अलग-अलग बैंक खातों में धनराशि स्थानान्तरित करवायी गयीl विवेचना के दौरान साईबर थाना पुलिस टीम द्वारा बैंक खातो तथा मोबाइल नम्बरों का सत्यापन किया गया। पुलिस टीम द्वारा तकनीकी / डिजिटल साक्ष्य एकत्र कर घटना के मास्टर मांइड व मुख्य आरोपी बलबीर सिंह नेगी पुत्र हरि सिंह नेगी निवासी ग्राम व पोस्ट नैल, थाना गैरसैण, जनपद चमोली, हाल निवासी- म.न. 68बी रोहिला बिला, अम्बेडकरनगर, बिजवासन, थाना कापसहेडा, साऊथवेस्ट नई दिल्ली चिन्ह्ति करते हुये आरोपी की तलाश जारी की तथा गिरफ्तारी हेतु कई स्थानो पर दबिशें दी गयी ।

साईबर पुलिस टीम को तकनीकी बिन्दुओं पर प्राप्त जानकारी हाथ लगी तथा टीम द्वारा अथक मेहनत एवं प्रयास से तकनीकी संसाधनों का प्रयोग करते हुये साक्ष्य एकत्रित कर कार्यवाही करते हुये अभियोग में प्रकाश में आये अभियुक्त बलबीर सिंह नेगी पुत्र हरि सिंह नेगी उपरोक्त को साऊथ वेस्ट दिल्ली से गिरफ्तार किया गया। तलाशी में अभियुक्त से घटना में प्रयुक्त 1 मोबाइल फोन, आधार कार्ड , पैन कार्ड भी बरामद हुए है तथा अभियुक्त के वाट्सअप के माध्यम से अन्य साईबर अपराधियो से सम्पर्क में होने के साक्ष्य प्राप्त हुये है। अभियुक्त द्वारा व्हाटसप के माध्यम से ट्रैडिंग बिजनेस लिंक भेजकर वाट्सअप ग्रुप बारक्लेस सिल (सिक्योरिटीज इंडिया लिमिटेड) में जोड़ कर ऑनलाईन ट्रेडिंग करने शार्ट टर्म में अधिक मुनाफा कमाने का झांसा देकर इन्वेस्ट के नाम पर लाखों रुपये की धोखाधड़ी की जा रही थी। अभियुक्त वाट्सअप ग्रुप में विभिन्न शेयर में इन्वेस्ट करने के नाम पर मुनाफा होने के फर्जी स्क्रीनशॉट भेजा करते थे तथा खुद को अधिक लाभ होने के बात करते थे जिससे ग्रुप के जुडे पीड़ित इनकें झांसे में आकर धनराशि इन्वेस्ट कर देते थे। इन्वेस्ट की गयी धनराशि में मुनाफा दिखाने हेतु यह एक फर्जी लिंक का प्रयोग करते थे जिसमें इनके नाम के बनाये गये फर्जी खातो/डेसबोर्ड में इन्वेस्ट की गयी धनराशि मुनाफा सहित पीड़ित को दिखायी देती थी ।

जिससे पीड़ित को अधिक मुनाफा होने का भरोसा हो जाता था। जिससे पीड़ित को अपने साथ हो रही साईबर धोखाधड़ी का अंदेशा नही हो पाता थाl अपराधियों द्वारा धोखाधडी से प्राप्त धनराशि को विभिन्न बैक खातों में प्राप्त कर उक्त धनराशि को अन्य खातों में स्थानान्तरण करते थे । साईबर पुलिस द्वारा देश भर में विभिन्न राज्यों से प्राप्त शिकायतों के सम्बन्ध में जानकारी हेतु अन्य राज्यों की पुलिस के साथ संपर्क कर रही है पूछताछ में अभियुक्त ने साईबर अपराध हेतु जिन बैंक खातों का प्रयोग किया गया है उसमें करोड़ों रूपयों का लेनदेन होना प्रकाश में आया है । जाँच में यह भी प्रकाश में आया है कि अभियुक्त के बैंक खाते के विरुद्ध देश के कई राज्यों में कुल 14 साईबर अपराधों की शिकायतें दर्ज हैंl

आरोपी को गिरफ्तार करने वाली टीम में पुलिस टीम-एसएचओ अरूण कुमार, उ.नि. दिनेश कुमार पंत अपर उपनिरीक्षक सत्येन्द्र गंगोला हे.का. मनोज कुमार, कानि. जितेन्द्र कुमार, मौ0उस्मान व टैक्निकल टीम-कानि. रवि बोरा शामिल रहे l

लोगों से अपील —

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसटीएफ उत्तराखण्ड, नवनीत सिंह द्वारा जनता से अपील की है कि वे किसी भी प्रकार के लोक लुभावने अवसरों/फर्जी साईट/धनराशि दोगुना करने व टिकट बुक करने वाले अंनजान अवसरो के प्रलोभन में न आयें। साथ ही, सभी से अपील है कि वे फर्जी निवेश ऑफर जैसे यूट्यूब लाइक सब्सक्राइब, टेलीग्राम आधारित निवेश वेबसाइट ऑफर में निवेश न करें व किसी भी अन्जान व्यक्ति के सम्पर्क में न आये अथवा न ही किसी भी अन्जान व्यक्ति से सोशल मीडिया पर दोस्ती न करें। किसी भी अन्जान कॉल आने पर लालच में न आये, अन्जान कॉलर की सत्यता की जांच करे बिना किसी भी प्रकार की सूचना/ दस्तावेज न दें। किसी भी प्रकार के ऑनलाईन जॉब हेतु एप्लाई कराने से पूर्व उक्त साईट का पूर्ण वैरीफिकेशन सम्बन्धित कम्पनी आदि से भलीं भांति इसकी जांच पड़ताल अवश्य करा लें तथा गूगल से किसी भी कस्टमर केयर नम्बर सर्च न करें ।

आजकल सोशल मीडिया पर तेजी से बढ़ रहे इन्वेस्टमेंट स्कैम्स ने लाखों लोगों को अपना शिकार बनाया है। यह स्कैम्स सस्ती वेबसाइट्स और नकली रिव्यू प्रोग्राम्स के माध्यम से लोगों को पहले छोटे-छोटे इनाम देकर भरोसा जीतते हैं और फिर धीरे-धीरे उन्हें भारी रकम निवेश करने पर मजबूर कर देते हैं । जानिए कैसे: पहले 1000 से 2000 रुपए में सस्ती वेबसाइट्स बनाना । पूरी टीम का मिलकर कुछ लाख इन्वेस्ट करना । पहले कलर पहचानने या ताजमहल कहां स्थित है इस टाइप के सवाल पूछ कर सही जवाब देने पर कुछ 49 रुपए से 150 रूपये तक पर सवाल तक क्रेडिट कर देना और विड्रॉल की पूरी छूट देना। फिर दो तीन सवालों के बाद यू-ट्यूब, गूगल, गूगल मैप व अन्य प्लेटफॉर्म्स पर रिव्यू देना । हर रिव्यू का 50 से 150 रूपये तक क्रेडिट देना और ऐसा 2 से 3 दिन तक करनाl कुछ हजार रूपये कमा लेने के बाद आईडी होल्डर को थोड़ा भरोसा हो जाता है कि बड़ी बड़ी कंपनियां हैं एक रिव्यू का 50 रुपए तो दे ही सकती हैं। फिर पीडित को यहां से शिफ्ट करके क्रिप्टो / ट्रेडिंग टाइप की दूसरी वेबसाइट पे ले जाना वहां पूरा जहां आपको वीआईपी मेंबरशिप बोलकर एक नए टेलीग्राम ग्रुप में जोड़ा जाएगा वहां हर मिनट 50 से ज्यादा इन्वेस्ट पेमेंट स्क्रीनशॉट और प्रॉफिट पेमेंट स्क्रीनशॉट ग्रुपों में जुडे अन्य लोग भेज रहे होंगे जो कि सब फेक होते हैं, वहां आपसे क्रिप्टो / ट्रेडिंग में इन्वेस्ट करने के लिए कहा जाएगा और शुरुवात में यह रकम सिर्फ कुछ हजार रूपये ही होती है ।

वहां निवेशक को यह लगता है कि इतना तो कमाया ही है थोड़ा एक्स्ट्रा लग जाएगा तो क्या ही चला जाएगा जिसके उपरान्त निवेशक पैसा भेज देते हैं निवेशक को लगभग दो से डेढ़ गुना राशि उसके वॉलेट में मुनाफे के रूप में दर्शायी जाती है । फिर आपसे दूसरा इन्वेस्टमेंट करने के लिए कहा जाता है जहां यह रकम कुछ और ज्यादा होती है, और फिर आपको रिटर्न करने से रोका जाता है और बाकी के 3 टास्क पूरे करने के लिए नियमावली बताई जाती है। फिर आप सोचते हैं कि पिछले 2 दिनों में इन्होंने सब पैसा प्रॉफिट सहित वापस किया है मैं बेवजह शक कर रहा हूं। आप बाकी के 3 टास्क में हजारों रूपये और फिर लाखों रूपये तक इन्वेस्ट करते हैं। इसकी रेंज वहां बैठे 5 से 6 लोग खुद डिसाइड करते हैं ज्यादा ठगी के शिकार लोग 10 लाख रूपये से करोड़ों के बीच में हैं। जो लोग लाखों-करोड़ों में इन्वेस्ट करते हैं और फिर उनके हाथ कुछ नहीं लगता तो फिर पुलिस के पास जाते हैं। उनकी खबरें आप अखबारों में पढ़ते हैं। पुलिस उन अकाउंट्स को ट्रेस करती है जिनसे आपने ट्रांससेक्शन किए होते हैं।

ज्यादातर खाते वे होते हैं जिनका फर्जी फर्म का रजिस्ट्रेशन कर करंट अकाउंट के रूप में खुलवाये जाते हैं, जिसमें खाताधारक अपने खातों को बेचकर उसका एक्सेस विदेशों में बैठे बडे साईबर अपराधियों को उपलब्ध कराते हैं तथा अपने खाते में प्राप्त धनराशि पर कमीशन प्राप्त करते हैं असली अपराधियों तक पहुँचने के लिये अत्यधिक मेहनत के साथ साथ डिजिटल साक्ष्य भी एकत्रित करने होते हैं । साईबर अपराधी एक वेबसाइट से 2 से 50 करोड़ तक का स्कैम करते हैं। फिर दूसरी साइट बना लेते हैं और यही पूरा पैटर्न रिपीट करते हैं। अब तक यह फ्रॉड 5000 करोड़ से भी ऊपर पहुंच चुका है। ये सिर्फ एक पैटर्न है ऐसे बीसों पैटर्न हैं और अलग अलग पैटर्न के लिए अलग अलग इन्वेस्टमेंट अमाउंट है । छोटी वेब साइट्स को छोटे इनफ्लूएंसर्स (10के -1एल फॉलोवर्स) और बड़ी वेबसाइट और एप को बड़े इन्फ्लूएंसर्स(1एल – मिलियनस फॉलोवर्स) से प्रमोट कराया जाता है। आप लोग किसी भी सोशल मीडिया इनफ्लूएंसर की विश्वसनीयता का आकलन उसके फॉलोवर्स की संख्या से कतई ना करें। कहीं भी पैसा कमाने के चक्कर में इन्वेस्ट ना करें व शक होने पर तत्काल निकटतम पुलिस स्टेशन या साइबर क्राईम पुलिस स्टेशन को सम्पर्क करें। वित्तीय साईबर अपराध घटित होने पर तुरन्त 1930 नम्बर पर सम्पर्क करें।

Manoj kumar

Editor-in-chief

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