Dehradun में बिल्डर ने किया धोखा, 7.5 मीटर की सड़क पर बनाया 8 मंजिला इमारत
Dehradun के बंशीवाला इलाके में स्थित ओकवुड अपार्टमेंट्स रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट में एक बड़ा धोखाधड़ी का मामला सामने आया है, जहां बिल्डर ने नियमों का उल्लंघन करते हुए 7.5 मीटर चौड़ी सड़क पर 8 मंजिला इमारत का निर्माण कर दिया। यह परियोजना जेमिनी पैकटेक प्राइवेट लिमिटेड द्वारा विकसित की जा रही है, और इसमें सड़क की चौड़ाई को लेकर गलत जानकारी दी गई है। इससे निवासियों और खरीदारों में आक्रोश व्याप्त है, जिन्होंने अपने खून-पसीने की कमाई से इस परियोजना में निवेश किया था।
सपनों का घर बना धोखा
लोग अपने जीवनभर की कमाई का बड़ा हिस्सा एक घर खरीदने में लगाते हैं, और ऐसे में जब बिल्डर द्वारा उनके साथ धोखाधड़ी की जाती है, तो उनकी उम्मीदें और विश्वास टूट जाते हैं। ओकवुड अपार्टमेंट्स परियोजना के लिए बुकिंग के समय ग्राहकों को भव्य ब्रोशर दिखाए गए थे, जिनमें बड़े-बड़े वादे किए गए थे। लेकिन वास्तविकता इससे बिल्कुल विपरीत निकली। परियोजना के निर्माण में न केवल वादों का उल्लंघन हुआ है, बल्कि कई मानकों का भी पालन नहीं किया गया।
सड़क की चौड़ाई में हेरफेर
ओकवुड अपार्टमेंट्स परियोजना में सबसे बड़ा विवाद सड़क की चौड़ाई को लेकर है। जेमिनी पैकटेक प्राइवेट लिमिटेड द्वारा बनाई गई इस परियोजना में बिल्डर ने 8 मंजिला इमारत का निर्माण करने के लिए 12 मीटर चौड़ी सड़कों का उल्लेख किया था। लेकिन जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि मौके पर सड़कों की चौड़ाई केवल 7.5 से 9 मीटर के बीच ही है। यह स्पष्ट रूप से मानकों का उल्लंघन है, क्योंकि इतनी संकरी सड़क पर इतने ऊंचे भवन का निर्माण सुरक्षा और यातायात के लिहाज से खतरनाक साबित हो सकता है।
एमडीडीए में दर्ज कराई गई शिकायत
सरीन ग्रीन्स के विला रेजिडेंट्स वेलफेयर सोसाइटी, जो कि ओकवुड प्रोजेक्ट के पास स्थित है, ने इस धोखाधड़ी को लेकर मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) में शिकायत दर्ज कराई थी। सोसाइटी ने बिल्डर पर न केवल मानकों की अनदेखी का आरोप लगाया, बल्कि हरे भरे क्षेत्र में अवैध निर्माण करने की भी शिकायत की। इसके बाद एमडीडीए के उपाध्यक्ष बंसीधर तिवारी के निर्देश पर इस मामले की जांच के लिए एक समिति का गठन किया गया, जिसमें दो सहायक इंजीनियर और दो जूनियर इंजीनियर शामिल थे।
जांच रिपोर्ट में खुलासा
जांच समिति की रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया कि बिल्डर ने सड़कों की चौड़ाई और निर्माण से संबंधित तथ्यों को छिपाकर नक्शा पास करवाया था। साथ ही, संबंधित इंजीनियरों ने भी इन तथ्यों को नजरअंदाज किया। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि परियोजना में कई मानकों का उल्लंघन हुआ है और हरे भरे क्षेत्र में अवैध निर्माण किया गया है। रिपोर्ट अब एमडीडीए के उपाध्यक्ष को सौंपी गई है, जो आगे की कार्रवाई तय करेंगे।
सड़क की वास्तविकता: नक्शे और जमीन पर अंतर
जांच रिपोर्ट में बिल्डर द्वारा दिए गए नक्शे और वास्तविक स्थिति में अंतर साफ देखा गया है। नीचे दी गई तालिका में बताया गया है कि कैसे नक्शे में सड़कों की चौड़ाई अधिक दिखाई गई है, जबकि वास्तविकता में यह काफी कम है:
- मुख्य प्रवेश द्वार रोड: नक्शे में चौड़ाई – 15 मीटर, वास्तविक चौड़ाई – 15 मीटर
- प्लॉट के दाहिनी ओर: नक्शे में चौड़ाई – 12 मीटर, वास्तविक चौड़ाई – 09 मीटर
- प्लॉट के बीच में: नक्शे में चौड़ाई – 12 मीटर, वास्तविक चौड़ाई – 09 मीटर
- प्लॉट 55 और 56 के बीच: नक्शे में चौड़ाई – 12 मीटर, वास्तविक चौड़ाई – 09 मीटर
- प्लॉट 47 और 46A के बीच: नक्शे में चौड़ाई – 12 मीटर, वास्तविक चौड़ाई – 09 मीटर
- प्लॉट 26 और ग्रीन बेल्ट के बीच: नक्शे में चौड़ाई – 12 मीटर, वास्तविक चौड़ाई – 7.5 मीटर
- प्लॉट 27 और ग्रीन बेल्ट के बीच: नक्शे में चौड़ाई – 7.5 मीटर, वास्तविक चौड़ाई – 7.5 मीटर
हरित क्षेत्र पर पार्किंग निर्माण
जांच में यह भी पाया गया कि बिल्डर ने प्लॉट 27 के पास और हरे भरे क्षेत्र में पार्किंग का निर्माण कर दिया है, जो कि मानकों का स्पष्ट उल्लंघन है। जैसे ही जांच शुरू हुई, बिल्डर ने सड़क की चौड़ाई बढ़ाने के लिए हरित क्षेत्र में खुदाई शुरू कर दी। लेकिन पुलिस के हस्तक्षेप के बाद यह काम रुकवा दिया गया।
ईडी की ज़मीन पर भी अतिक्रमण
इस मामले में एक और बड़ा खुलासा यह हुआ कि जेमिनी पैकटेक के आवासीय परियोजना परिसर में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जब्त की गई जमीन पर भी अतिक्रमण किया गया था। बाद में ईडी ने उस जमीन को निशानदेही करके मुक्त कराया। इस मामले में ईडी ने भी एक मामला दर्ज किया है और कानूनी कार्रवाई जारी है।